फर्रुखाबाद:(द दस्तक 24 न्यूज़)16 जून 2025 उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत निजी क्षेत्र के लिए अनेक अनुदान आधारित योजनाओं की शुरुआत की गई है। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों, उद्यमियों एवं निजी संस्थाओं को तकनीकी रूप से उन्नत horticulture आधारित परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन देना है।
हाईटेक नर्सरी, टिश्यूकल्चर लैब और बीज उत्पादन में मिलेगा अनुदान नवीन गाइडलाइन के अनुसार, प्री-हार्वेस्ट प्रबंधन के अंतर्गत निजी क्षेत्र में हाईटेक नर्सरी की स्थापना (1-2 हेक्टेयर) पर अनुमन्य लागत ₹60 लाख प्रति इकाई है, जिस पर 40% अर्थात ₹24 लाख की क्रेडिट लिंक्ड बैंक एंडेड सब्सिडी दी जाएगी।
वहीं, छोटी नर्सरी निर्माण (0.4-1.00 हे.) पर ₹20 लाख/हे. की लागत पर 50% की दर से सब्सिडी, और नर्सरी के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने हेतु ₹4 लाख/हे. पर 50% अनुदान मिलेगा।
टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना पर अनुमन्य लागत ₹250 लाख/इकाई है, जिसमें निजी क्षेत्र को ₹100 लाख (40%) की बैंक लिंक्ड सब्सिडी दी जाएगी।
बीज एवं मशरूम उत्पादन पर भी मिलेगा समर्थन शाकभाजी एवं मसाला बीज उत्पादन (जैसे आलू, मटर आदि) हेतु ₹50,000/हेक्टेयर की लागत पर 35% यानी ₹17,500/हे. की बैंक एंडेड सब्सिडी, अधिकतम 2 हे. तक प्रदान की जाएगी।
रोगमुक्त सब्जी बीज उत्पादन (मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के लिए ₹120 लाख/हे. की लागत पर ₹60 लाख (50%) की सब्सिडी मिलेगी।
बीज विधायन केंद्र स्थापित करने पर ₹300 लाख/इकाई की लागत पर 50% यानी ₹150 लाख की सब्सिडी दी जाएगी मशरूम उत्पादन को मिलेगा खास प्रोत्साहन मशरूम उत्पादन इकाई की स्थापना पर ₹30 लाख/इकाई लागत पर 40% सब्सिडी
स्पॉन उत्पादन इकाई पर ₹20 लाख की लागत
कम लागत वाली मशरूम इकाई (200 वर्गफुट) पर ₹2 लाख की अनुमन्य लागत पर 50% सब्सिडी कम्पोस्ट उत्पादन इकाई पर ₹30 लाख लागत पर 40% यानी ₹12 लाख की सब्सिडी मिलेगी।
आवेदन प्रक्रिया एवं संपर्क
इन सभी योजनाओं के लिए इच्छुक कृषक, उद्यमी एवं निजी संस्थाएं आलू एवं शाकभाजी विकास अधिकारी, कमरा नं0-57, विकास भवन, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद में संपर्क कर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पूर्णतः निःशुल्क है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल न केवल कृषि आधारित स्टार्टअप्स और निजी उद्यमों को बढ़ावा देगी, बल्कि उन्नत किस्म की पौध, बीज, मशरूम एवं प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से कृषि क्षेत्र में रोजगार और उत्पादन क्षमता में वृद्धि भी होगी।