रोहित के बाद अब विराट पर नज़र, लेकिन रणजी खेलने से क्यों बचते हैं स्टार खिलाड़ी ?

ख़राब फ़ॉर्म से गुजर रहे रोहित शर्मा रणजी ट्रॉफी में भी फॉर्म वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं जबकि विराट कोहली भी रणजी में खेलने के लिए अभ्यास में जुटे हैं. पहले न्यूज़ीलैंड और बाद में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ गंवाने के बाद भारतीय टीम के सीनियर खिलाड़ियों का प्रदर्शन सवालों के घेरे में रहा है. ऐसे में पूर्व क्रिकेटरों का कहना है कि खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट खेलने पर भी ध्यान देना चाहिए.बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की हार के बाद भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने यहां तक कहा कि ‘रणजी क्रिकेट शुरू हो रहा है. मैं देखना चाहता हूं कि कितने खिलाड़ी उसमें खेलते हैं.’

गंभीर ने खिलाड़ियों को रणजी क्रिकेट खेलने को क्यों कहा ?

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारतीय बल्लेबाज़ों का प्रदर्शन निराशाज़नक रहा, ख़ास तौर से सीनियर खिलाड़ियों का. जिसके कारण भारतीय टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में पहुंचने से चूक गई. विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पांच टेस्ट मैचों में कुल 190 रन बनाए, जिसमें उनका एक शतक भी शामिल था, जबकि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में कोहली ने छह पारियों में कुल 93 रन बनाए थे. रोहित शर्मा ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में तीन मैच खेले, जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर 31 रन बनाए और उनका सर्वाधिक स्कोर 10 रन रहा. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ में रोहित ने छह पारियों में महज 91 रन बनाए थे. वहीं केएल राहुल ने न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ कुल मिलाकर 12 पारियों में 284 रन बनाए हैं, जिसमें उनके दो अर्धशतक भी शामिल हैं.

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अंतिम मैच के बाद प्रेस वार्ता के दौरान भारतीय टीम के कोच गौतम गंभीर ने कहा था, “मैं हमेशा चाहता हूं कि सभी खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट खेलें. अगर आप लाल गेंद से क्रिकेट खेलने के प्रति प्रतिबद्ध हैं तो घरेलू क्रिकेट खेलें. अगर आप घरेलू क्रिकेट को महत्व नहीं देते हैं तो आपको कभी भी मनचाहे परिणाम नहीं मिलेंगे जो आप टेस्ट क्रिकेट में चाहते हैं.”

क्या बोले पूर्व क्रिकेटर और एक्सपर्ट

पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन का कहना है, “आप घर में न्यूज़ीलैंड से हार गए. आपने टर्निंग ट्रैक बनाए और आपके बैट्समैन ही नहीं खेल सके. हम ऑस्ट्रेलिया से बुरी तरह से मैच हारे. इसलिए घरेलू क्रिकेट की इतनी चर्चा हो रही है. जब भी हम कोई बड़ी सिरीज़ हारते हैं तो एक ही कारण बताया जाता है कि आप तो घरेलू क्रिकेट खेल नहीं रहे हैं.”

“घरेलू क्रिकेट के आधार पर ही चयन होना चाहिए. 2005-06 में जब दिलीप वेंगसकर टीम के मुख्य चयनकर्ता थे तब यह स्पष्ट निर्देश थे कि आपको घरेलू क्रिकेट खेलना ही होगा, यदि आप इंजर्ड होते हैं तो भी आपको घरेलू क्रिकेट में ही अपनी फिटनेस साबित करनी होती थी.”

बड़े खिलाड़ी रणजी क्यों नहीं खेलना चाहते हैं ?

भारतीय टीम के बड़े खिलाड़ी लंबे समय से घरेलू क्रिकेट खेलने से बचते रहे हैं. रोहित शर्मा जब जम्मू- कश्मीर के ख़िलाफ़ रणजी मैच खेलने उतरे तब पता चला कि रोहित शर्मा ने पिछला रणजी मैच नौ साल पहले खेला था. भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली भी 30 जनवरी को रेलवे के ख़िलाफ़ रणजी मैच में खेलने उतरेंगे तो 13 साल बाद घरेलू क्रिकेट में वापसी करेंगे. सलामी बल्लेबाज़ केएल राहुल ने पिछला रणजी मैच साल 2020 में खेला था. वहीं विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत ने अपना पिछला रणजी मैच साल 2017-18 में खेला था.

खेल पत्रकार चंद्र शेखर लूथरा का कहना है, “यह सिर्फ़ कोहली या रोहित की बात नहीं है. उनके सीनियर खिलाड़ी भी सालों बाद घरेलू क्रिकेट खेलते थे. पहले रणजी ट्रॉफ़ी में जाकर फिटनेस साबित करनी होती थी अब वह सिस्टम खत्म हो गया है.” पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन कहते हैं, “जितने भी इंटरनेशनल क्रिकेटर हैं, जब वो स्टार बन जाते हैं तो उन्हें रणजी खेलना लोड लगने लगता है. खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छा करके सोचते हैं कि घरेलू क्रिकेट से जान छूट गई है. इस तरह की सोच गलत है.”

आपको घरेलू क्रिकेट खेलनी ही पड़ेगी, लेकिन यह तय कौन करेगा. एक ऐसी कमिटी होनी चाहिए जो खिलाड़ियों के वर्क लोड को देखे. जब एक खिलाड़ी सारे फॉर्मेट मिलाकर साल के 220 दिन क्रिकेट खेल रहा है तो उस पर लोड तो बढ़ेगा ही. ऐसे में खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट खेलने से बचते हैं, वह आराम करना चाहते हैं.” “घरेलू क्रिकेट खेलने में खिलाड़ियों को रिस्क लगता है, अगर वह वहां भी फेल हो जाएंगे तो लोग बात करेंगे, कहेंगे देखिए आप तो रणजी में भी रन नहीं बना पाए, लोग आपको जज करने लगते हैं.”

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