शरद पूर्णिमा पर बौद्ध तीर्थ स्थली संकिसा खिल उठी। हर तरफ धार्मिक छटा बिखर गयी। विधायक सुशील शाक्य ने बौद्ध महोत्सव का उद्घाटन किया।मोमबत्ती और अगरबत्ती जलाकर पूजा अर्चना की। भिक्षु डॉक्टर धम्मपाल ने बुद्ध वंदना करायी तथा पाली भाषा में परित्राण पाठ बौद्ध भिक्षुओं ने किया। इस मौके पर भगवान बुद्ध के संदेश घर घर तक पहुंचाने पर भी जोर दिया गया।
बौद्धतीर्थ स्थली संकिसा में पंचशील सिद्धांत गूंजते रहे। बुद्ध महोत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी ही दूर दूर से बौद्ध अनुयायी यहां पहुंच गये हैं। संकिसा, धम्मा लोको बुद्धबिहार के प्रांगण में बौद्ध अनुयाइयों में गजब का जोश दिखायी दे रहा है। दूर दूर से महोत्सव में दुकानदार भी अपने अपने प्रतिष्ठान लगाने के लिए यहां आ गये हैं। इस पर भी खरीददारों की भीड़ हो रही है। बताते चलें कि संकिसा बौद्ध जगत के आठ तीर्थस्थलों में से एक है।
जो एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद जनपद की सीमा पर काली नदी के तट पर स्थित है। यह केवल भारत में निवास करने वाले बौद्ध अनुयाइयों का ही नहीं अपितु विश्व में निवास करने वाले बौद्ध देशों का प्रमुख तीर्थ स्थल है।तथागत गौतम बुद्ध आषाढ़ पूर्णिमा के दिन श्रावस्ती के संघाराम में यमक प्रतिहार के बाद वर्षावास के पश्चात आश्विन पूर्णिमा के दिन 522 ईसा पूर्व संकिसा में पधारे थे।उस समय यह नगरी बौद्ध राजाओं की राजधानी अपने वैभव से परिपूर्ण रही है। शाक्य राजा दीर्घ शक्र के शासनकाल में भगवान बुद्ध, राजा शुद्धोधन, प्रजापति गौतमी, प्रसेनजित, अजातशत्रु एवं अनेक अर्हत भिक्षुगण अपार श्रद्धालुओं के साथ शरद पूर्णिमा के दिन इस नगरी में पधारे। उपस्थित राजाओं एवं प्रजा ने बड़ी धूमधाम के साथ समारोह मनाया।
जो जगत में महाप्रवारण दिवस के नाम से विख्यात है।इसी परंपरा क्रम में बौद्धअनुयायी 1940 से कभी बुद्धजयंती के नाम पर कभी स्वार्गावतरण समारोह, कभी बुद्धागमन समारोह और विगत कई वर्षो से बुद्धमहोत्सव के नाम से आयोजन हो रहा है।देश विदेश के अनेक धम्म अनुयायी, भिक्षुगण, बौद्ध विद्वान एवं राजनीतिक नेता समारोह में आ रहे हैं। महोत्सव के प्रमुख संयोजक कर्मवीर शाक्य ने कार्यक्रम के बीच में भगवान बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि महोत्सव का शुभारंभ हो गया है।