कन्नौज: समर्पण नहीं तो अर्पण व्यर्थ आचार्य मुनेंद्र

कन्नौज। भगवान भाव के भूखे होते है। इसलिए हमे समर्पण की भावना रखनी होगी। अगर आराध्य के प्रति श्रद्धा विश्वास और समर्पण नही है तो अर्पण यानी सांसारिक बस्तुओं के चढ़ाने का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि लोग प्रसाद चढ़ाने के बदले अपनी कामना की शर्ते रख देते हैं। जबकि हमे श्रद्धा विश्वास रूपणो की भावना रखनी होगी। उन्होंने व्यास गद्दी से लोगों को आगाह करते हुए कहा कि पुण्य से पाप कटता नही है। हम जो भी पाप करेगे उसकी सजा मिलेगी और जो पुण्य करेगे उसका फल भी मिलेगा। ऐसा नहीं होगा कि हम चार पाप करे और चार पुण्य करे तो पाप कट जायेंगे। हमे दोनों का फल अलग अलग मिलेगा। उन्होंने मां के छटवे स्वरूप कात्यायनी माता का वर्णन करते हुए कहा कि यह नौ दिन शत प्रतिशत सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते है। इस अवसर पर परीक्षित सरोज , अहिवरन सिंह चौहान , बंटी चौहान , अभय प्रताप सिंह , अरविंद सिंह ,सुधीर चौहान , ब्रजेंद्र , अजय मिश्रा , सिंह चौहान , संजय सिंह बैंस , गोपाल सिंह बैंस , अवनीश सिंह बैंस , ऋषि , कल्लू आदि उपस्थित रहे।

कन्नौज से संवाददाता पूनम शर्मा

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