कन्नौज: तकनीक के साथ करें आलू की खेती- डॉ. कनौजिया

जलालाबाद कन्नौज- कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी के प्रक्षेत्र पर आलू उत्पादक पूर्व प्रशिक्षित कृषक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ वी.के. कनौजिया द्वारा किसान भाइयों को चेचक रोग की समस्या से निदान हेतु 3 प्रतिशत बोरिक एसिड से बीज को अंकुरण से पूर्व औपचारिक करने की सलाह दी तथा भूमि व बीज जनित रोगों से आलू के बचाव हेतु मिट्टी को 5 किग्रा. ट्राइकोडर्मा प्रति हेक्टेयर की दर से उपचारित करने की भी सलाह दी। जिससे बीज तथा पौध गलन तथा चेचक रोग से आलू को मुक्त किया जा सके।
केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ अमर सिंह ने बताया कि आलू की अगेती फसल हेतु अगेती प्रजातियां जैसे कुफरी ख्याति ,कुफरी गरिमा, कुफरी अशोक, कुफरी सूर्या कुफरी पुखराज इत्यादि तथा मुख्य फसल हेतु प्रजातियां- कु0 कुफरी बहार, कु. लोहित, कु. गंगा, कु. मोहन, कु. अरुण, कु.संगम, कु. सदाबहार, कु. पुखराज, कुफरी पुष्कर, कु. गरिमा का प्रयोग करें। प्रसंस्करण हेतु कु. चिप्सोना-1,2 3,5 कु. सूर्या, कु. फ्राई सोना इत्यादि लगाने की सलाह दी।
बताया कि किसान मुख्य फसल की प्रजातियां को अगेती फ़सल के रूप में प्रयोग न करे अन्यथा उत्पादन प्रभावित होगा। साथ ही बताया कि किसान भाई अगेती फसल फसल हेतु आलू को काटकर कर न बुवाई करें क्योंकि तापक्रम अधिक होने की वजह से आलू के सड़ने की संभावना रहेगी। खाद एवं उर्वरक प्रबंधन की बात करें तो सबसे पहले मिट्टी के परीक्षण के अनुसार ही करें मिट्टी का परीक्षण संभव न हो तो संतुलित खाद एवं उर्वरक प्रबंधन के रूप में 150-180 किग्रा नाइट्रोजन 80-100 किग्रा फास्फोरस 80-100 किग्रा पोटाश 25 किग्रा जिंक सल्फेट 25 किग्रा सल्फर 50 किग्रा फेरस सल्फेट प्रति हेक्टेयर दर से प्रयोग की सलाह दी।

कन्नौज से संवाददाता पूनम शर्मा