फर्रुखाबाद: 25 जून ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित करना जनता का ध्यान भटकाना,जनता सब जानती है।

फर्रुखाबाद,(द दस्तक 24 न्यूज़) 25 जून ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित करना सोची समझी रणनीत है। देश में अंधभक्तों/मुर्खो की कोई कमी नही है। साजिशी एवं शातिर लोग जनता को मूर्ख बनाने हेतु तमाम छल प्रपंच रच कर लोगों को बरगलाते रहते हैं और अपने उल्लू साधते रहते हैं । 

आपातकाल की व्यवस्था भारतीय संविधान में निहित है ।  सरकारी आदेशों की अवज्ञा एवं दंगा फसाद तथा म्युटिनी होने की परिस्थितियों एवं संभावनाओं के चलते देश में कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु भारतीय संविधान में दी गई शक्तियों का उपयोग कर देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल घोषित किया था और डेढ साल के अंदर ही स्थति सामान्य होने पर आम चुनाव कराए थे। हालांकि चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी और तब सरकार बनाने वाली जनता पार्टी ढाई साल सरकार नहीं चला पाई थी। तब मध्यावधि चुनाव हुए और कांग्रेस की पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी हुई थी जो यह साबित करता है कि जनता पर आपातकाल का कोई बुरा असर नहीं था। विपक्ष के द्वारा भारी दुष्प्रचार किए जाने से तब जनता बरगला गई थी । 

कोरोना काल में देश में लाक डाउन घोषित कर जनता पर तमाम अत्याचार करने वाले लोग आज आपातकाल को संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा कर रही हैं, कहाँ तक ठीक है ।  आपातकाल जब संविधान के तहत घोषित हुआ था तब संविधान की हत्या की बात कैसे और क्यों भाजपा कर रही है ? आपातकाल के 49 साल पूरे होने के बाद 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ क्यों घोषित किया गया है? सरकार का यह काम देश में महंगाई, बेरोजगारी जैसी तमाम मूल समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने हेतु उठाया यह कदम है। जनता को याद करना चाहिए कि आपातकाल से तथाकथित पीड़ित प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर और इनके ही महापुरुष अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी भी 25 जून 1975 को संविधान की हत्या हुई थी, ऐसा कभी नहीं कहा। तब फिर आज ऐसा कहने और संविधान हत्या दिवस घोषित करने की क्या जरूरत पड गई है सरकार की सच्चाई यह है कि संविधान की हर रोज हत्या करने वाले संघी लोग और उनकी सरकार द्वारा अपने तमाम पापों को छुपाने हेतु ही यह फैसला लिया गया है । 

आज पिछले दस सालों से अघोषित आपात काल में सरकारी जांच एजेंसियों का भारी दुरूपयोग कर विपक्षी सरकारों के कई मुख्यमंत्रियों तक को जेल में डालने सहित संसद में विपक्ष के 145 सांसदों को सस्पेंड कर जनविरोधी कानून पास कराने का अभूतपूर्व कार्य करने के अलावा देश में साम्प्रदायिकता का ज़हर फैला कर समाज में भाईचारा खत्म करने वाले ही संविधान की हत्या कर रहे हैं जब कि 25 जून 1975 को आपातकाल संविधान के प्रावधानों के तहत ही लगाया गया था और तब ऐसे गलत कार्य अत्याचार भी नहीं हुए थे सिवाय जनता को बरगलाने वाले एवं संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त लोग ही गिरफ्तार किए गए थे । आज बेरोजगारी, मंहगाई जैसी मूल समस्यायों एवं पेपर लीक सहित अन्य तमाम समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए उठाया गया यह कदम डूबते हुए जहाज को बचा नहीं पायेगा।  25 जून अभी हाल में गुजरा है तब तो यह लोग छल प्रपंच से बनी सरकार की खुशी में जश्न मनाने में गुजारा। संविधान की हर रोज हत्या करने वाले अब 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का ऐलान कर रहे हैं। यह तो वही बात है कि संविधान तोडने और संविधान को न मानने वाले लोग ही 25 जून को संविधान हत्या दिवस मना कर घडियाली आंसू बहाने का एक और झूठा पर्व मनाने का ऐलान कर रहे और इसके पीछे अपने तमाम अपराध और कुकर्मो को छुपाने व संविधान मानने वालों को बदनाम करने की नापाक कोशिशें कर रहे हैं लेकिन जनता अब इन लोगों की कथनी और करनी को समझ चुकी है।