जंग के 6 महीने बाद इजराइल और हमास के बीच 24 घंटों में दूसरा युद्धविराम हो सकता है। हमास के नेता याहया सिनवार के मुताबिक, हमास ने इजराइली बंधकों को छोड़ने के समझौते पर अपनी सहमति जताई है।हमास ने कहा है कि उन्हें मिस्र और इजराइल के प्रपोजल से किसी भी तरह की परेशानी नहीं है।
इसके लिए इजरायलियों का एक प्रतिनिधिमंडल कल (29 अक्टूबर) काहिरा जाने के लिए तैयार हो गया है। इजराइल हमास से 130 बंधकों में से 40 को रिहा करने की मांग कर रहा है और वो इसके बदले में फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा कर देगा।
वहीं, दूसरी तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी कहा है कि हमास को जल्द ही ऑफर स्वीकार कर लेना चाहिए। ब्लिंकन वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम में हिस्सा लेने के लिए सऊदी अरब पहुंचे थे। यहां उन्होंने हमास फिलिस्तीन के मुद्दे पर बात की।
एक अधिकारी के हवाले से बताया कि जब तक इजराइल कोई दिक्कत पैदा न करें, हमास को मिस्र के प्रपोजल पर कोई खास परेशानी नहीं है। हमास के अधिकारी ने कहा कि सीनियर लीडर खलील अल-हैय्या के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल 29 अप्रैल यानी आज काहिरा (कायरो) में मिस्र और कतरी मीडिएटर्स के सामने प्रपोजल पर हमास का जवाब देगा।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि हमास को ऑफर स्वीकार कर लेना चाहिए। उनके पास ऐसा प्रस्ताव है, जिसे वो कभी अस्वीकार नहीं कर सकते हैं। 29 अप्रैल को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम पर बोलते हुए ब्लिंकन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि हमास जल्द ही सही फैसला करेगा।
ब्लिंकन ने कहा, ” मैं आशा कर रहा हूं कि हमास इजराइली बंधकों को छोड़ने वाले वाले इजराइल का दरियादिली वाला ऑफर स्वीकार करें। इसके बदले इजराइल गाजा पर अपने हमलों को रोकेगा।
मिस्र, कतर और अमेरिका साथ मिलकर हमास और इजराइल के बीच युद्धविराम करवाने की कोशिश कर रहे हैं। तीनों देशों ने शुक्रवार 26 अप्रैल को प्रपोजल पर बातचीत करने के लिए एक हाई-लेवल डेलिगेशन इजराइल भेजा था। अब दोनों देशों के बीच युद्धविराम को लेकर काहिरा में बातचीत होगी।
इससे पहले कतर और मिस्र की मध्यस्थता के बाद नवंबर में इजराइल-हमास के बीच पहली बार 4 दिन के लिए युद्धविराम हुआ था। इस दौरान हमास ने 112 बंधकों को रिहा किया था। वहीं इजराइल ने भी जेल में बंद 240 से ज्यादा फिलिस्तिनियों को छोड़ा था।
हमास और इजराइल के बीच युद्धविराम और बंधकों को छोड़ने के समझौते से जुड़ी डीटेल्स सामने नहीं आई है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें 33 इजराइली बंधकों की रिहाई की बात है। इसके बदले इजराइल बड़ी संख्या में जेल में बंद फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा।
इजराइल उत्तरी गाजा में फिलिस्तीनियों को लौटने की इजाजत देने जैसी कई बड़ी रियायतें देने को तैयार है। हालांकि इजराइल का यह भी कहना है कि वो बंधकों की रिहाई के बदले गाजा में युद्ध खत्म नहीं करेगा।
6 महीने की जंग में इजराइल ने राफा छोड़कर पूरे गाजा पर कब्जा कर लिया है। राफा पर हमले से पहले इजराइल ने हमास को समझौते का आखिरी मौका दिया था। इजराइल ने कहा था कि अगर हमास समझौता स्वीकार नहीं करता है, इजराइल राफा पर बड़ा हमला करेगा।
इसी कारण मिस्र का डेलिगेशन दोनों पक्षों में समझौते करवाने को कोशिश कर रहा है। पिछले दिनों रिपोर्ट आई थी कि मिस्र बंधकों को छोड़ने के लिए हमास पर दबाव बनाने की तैयारी कर रहा है। दरअसल राफा मिस्र की बॉर्डर के पास है। इसलिए उसे डर है कि अगर इजराइली सेना राफा पर हमला करेगी, तो बड़ी संख्या में शरणार्थी मिस्र में घुसने की कोशिश करेंगे।
इसी से बचने के लिए इजिप्ट का एक डेलिगेशन इजराइल और हमास के बीच शांति समझौते करवाने की कोशिश में जुटा है। इस समय 10 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनियों ने राफा शहर में पनाह ली हुई है।
कुछ दिन पहले हमास के एक सीनियर अधिकारी ने 5 साल के युद्धविराम की इच्छा जाहिर की थी।खलील अल-हैय्या ने कहा था कि अगर फिलिस्तीन एक अलग और आजाद देश बनता है तो हम हथियार डाल देंगे और एक साधारण राजनीतिक पार्टी के तौर पर काम करेंगे।
हालांकि, 7 अक्टूबर के हमले के बाद हमास का खात्मा करने की कसम खा चुका इजराइल इस समझौते के लिए सहमत नहीं है। अल-हैय्या का कहना था कि अगर फिलिस्तीन को 1967 की जंग से पहले के इलाके दिए जाते हैं तो वो इजराइल के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ेगा।