केंद्रीय मंत्री के पद से रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस ने इस्तीफा दे दिया

रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि NDA में मेरे साथ नाइंसाफी हुई। अब मैं तय करूंगा कि कहां जाना है। मंगलवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने ये ऐलान किया।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा, 5-6 दिन पहले मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मैं तब तक इंतजार करूंगा, जब तक NDA सीटों की घोषणा नहीं करती।
मैंने बहुत ईमानदारी से NDA की सेवा की। पीएम नरेंद्र मोदी देश के बड़े नेता हैं, लेकिन हमारी पार्टी और व्यक्तिगत रूप से हमारे साथ नाइंसाफी हुई। इसलिए मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देता हूं।
पशुपति कुमार पारस दिल्ली से पटना पहुंचे और पार्टी ऑफिस में कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस दौरान आगे की योजना पर चर्चा की गई। हालांकि, संभावना है कि पार्टी की आधिकारिक बैठक बुधवार को हो सकती है। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने बताया कि पशुपति कुमार पारस ने सिर्फ केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया है। हमारी पार्टी अब भी NDA का हिस्सा है। हम गठबंधन से अलग नहीं हुए हैं।
सोमवार को बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए NDA ने शीट शेयरिंग की घोषणा कर दी। भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास), राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हम के बीच सीटों का बंटवारा हो गया। वहीं, इस बंटवारे में पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोजपा को एक भी सीट नहीं मिली है। उनकी पार्टी को पूरी तरह से गठबंधन के अंदर इग्नोर कर दिया गया है। तब से वे नाराज हैं।
सूत्रों के मुताबिक पशुपति पारस की पार्टी राजद के संपर्क में हैं। संभावना जताई जा रही है कि आज या कल में वे बड़ा ऐलान कर सकते हैं। पशुपति पारस ने पहले ही कह दिया है कि वो हर हाल में हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। अब एनडीए में ये सीट चिराग को मिली है।
पारस के इस्तीफे पर तेजप्रताप यादव ने कहा कि उन्होंने बहुत अच्छा फैसला लिया है। पहले ही एनडीए छोड़ देना चाहिए था। एनडीए में नाइंसाफी होती रहती है। इंडी गठबंधन में आने के सवाल पर कहा कि अगर वो आते हैं तो उनका स्वागत है। मैं तो खास तौर से उनका वेलकम करूंगा। साथ ही कहा कि मेरी भविष्यवाणी है कि 2025 में बीजेपी खत्म हो जाएगी।
पशुपति पारस के इस्तीफ पर जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि एनडीए में सीटों का बंटवारा बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने घटक दलों के साथ बातचीत कर किया गया। पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में पशुपति पारस ने सेवा ली। अब उन्होंने इस्तीफा दिया है। ये उनका फैसला है। केंद्रीय नेतृत्व में जो सम्मान मोदी जी ने दिया, पारस जी को इस कर्ज की अदायगी करनी चाहिए। इसकी अपेक्षा बिहार की जनता भी उनसे करती है।2019 में हाजीपुर सीट से लोकसभा का चुनाव जीत कर पशुपति पारस सांसद बने थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में उन्हें जगह दी और केंद्र में मंत्री बनाया। लेकिन, 2024 में होने जा रहे लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने भतीजे चिराग पासवान को तरजीह दी और चाचा पशुपति कुमार पारस को सीधे नजर अंदाज कर दिया।
सूत्रों के अनुसार NDA के अंदर जगह नहीं मिलने से नाराज पशुपति कुमार पारस राजद के संपर्क में आ गए हैं। 5 सीटों के लिए इनकी बात भी हुई है। संभावना है कि हाजीपुर समेत जो सीटें NDA में चिराग पासवान की पार्टी को मिली है। वहीं, सीटें महागठबंधन में पशुपति कुमार पारस को मिल सकती है।
मतलब, जिन सीटों पर चिराग अपने उम्मीदवार उतारेंगे, उनके खिलाफ चाचा भी अपने उम्मीदवार देंगे। मंगलवार को पशुपति कुमार पारस दिल्ली से पटना आ रहे हैं। इसके काफी कुछ स्पष्ट होगा। बुधवार को वो पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकते हैं।सोमवार की शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार से दिल्ली पहुंचे। संभावना जताई जा रही थी कि सीएम के दिल्ली पहुंचने के बाद पशुपति कुमार पारस उनसे मुलाकात करेंगे। हालांकि, अब इन दोनों प्रमुख नेताओं के बीच मुलाकात की कोई संभावना नहीं है।
सीटों के बंटवारे को लेकर सोमवार की शाम दिल्ली में NDA की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आधिकारिक घोषणा कर दी गई। राष्ट्रीय लोजपा इसी के इंतजार में थी। शुक्रवार को दिल्ली में ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पशुपति कुमार पारस ने भी कहा था कि उन्हें आधिकारिक ऐलान का इंतजार है। मगर, हर हाल में वो हाजीपुर सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, वो चुनावी मैदान में अकेले जाएंगे या फिर महागठबंधन में शामिल होंगे? यह सवाल भी अभी बरकरार है। इस सवाल का जवाब उन्होंने उस दिन भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं दिया था। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता देवजानी मित्रा के अनुसार जल्द ही अब बैठक होगी और उसी में अगले कदम का फैसला लिया जाएगा।
बिहार में सीटों के ऐलान से पहले ही NDA के अंदर क्या चल रहा है? यह साफ-साफ दिखने लगा था। क्योंकि, हाजीपुर की सीट पर दावा को लेकर चिराग पासवान अपने चाचा पर भारी पड़ते दिख रहे थे। भाजपा के कई दिग्गज नेता चिराग के पक्ष में लगातार बातें कर रहे थे। कुछ महीने पहले से ही सबकुछ धीरे-धीरे सामने आने लगा था।
एक तरफ गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से चिराग मिल रहे थे तो दूसरी तरफ पशुपति कुमार पारस से सम्राट चौधरी और मंगल पांडेय जैसे नेता मिल रहे थे। इससे आप समझ सकते हैं कि कितना बड़ा फर्क आ गया था। भाजपा की तरफ से पशुपति कुमार पारस को किसी राज्य का राज्यपाल बनाने का ऑफर दिया गया था। जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।