पीलीभीत के गजरौला में एक वर्ष पहले कर्नाटक से आए चार हाथियों का पेट भरने में विभाग को मशक्कत करनी पड़ रही है। हाथियों को पीपल और गूलर के पत्ते खिलाए जा रहे। जबकि इनकी खुराक में चावल, गुड़ और चना भी शामिल है। यह सामान हाथियों को मुश्किल से मिल रहा है। हालांकि विभाग इस बात से इन्कार कर रहा है।
नवंबर 2022 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में कर्नाटक से चार हाथी भीमा, निसर्गा, सूर्या और सूर्या 2 लाए गए थे। इन हाथियों के सहारे निगरानी की बात कही गई थी। इन हाथियों को माला रेंज में रखा गया। जहां अब इनकी देखभाल की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि अब कर्नाटक से आए इन हाथियों का पेट भरने में विभाग को मशक्कत करनी पड़ रही है।
प्रतिदिन आहार में दिए जाने वाले गुड़, चना व चावल खिलाने में मुश्किल आ रही है। सूत्रों की माने तो बजट न होने से दुकानदारों की उधारी भी हो गई थी। जिसे फरवरी के पहले सप्ताह में चुकाया गया। वहीं विभाग इस बात से इन्कार कर रहा है। कहना है कि बजट हो या नहीं हाथियों को उनका आहार ही दिया जाता है।
असम और दुधवा के डॉक्टराें ने जांचा हाथियों का स्वास्थ्य
एक वर्ष से ज्यादा समय से पीलीभीत टाइगर रिजर्व के हाथियों की सेहत की जांच बृहस्पतिवार को असम, दुधवा और पीलीभीत के चिकित्सकों ने की। विभाग इसे रूटीन जांच बता रहा है। कहा जा रहा है कि कोई हाथी बीमार नहीं था। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की ओर से शिविर लगाकर हाथियों का परीक्षण कराया गया। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में यह शिविर पहली बार लगा है।
हाथियों को दिया जाता है यह आहार
विभाग के अनुसार हाथियों को प्रतिदिन आठ किलो चावल दिया जाता है। छह-छह किलो गुड़ और चना भी खिलाया जाता है। सोयाबीन की बड़ी दी जाती है। डॉक्टर दक्ष गंगवार ने बताया कि हाथियों को नीम का तेल लगाया जाता है। खाने में कडुवा तेल भी दिया जाता है। बताया जा रहा है कि हाथियों के खानपान पर प्रतिमाह 32 से 36 हजार रुपये खर्च आता है।
हाथियों को पत्ते भी खिलाए जाते हैं। राशन खत्म होने जैसी समस्या नहीं हुई। बजट हो या नहीं, हाथियों के आहार में कमीं नहीं आने दी जाती।- आरके सिंह, रेंजर माला रेंज