जिलाधिकारी के माध्यम से सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश को एक ज्ञापन अध्यापको ने दिया. जिसके माध्यम से बताया गया की पारस्परिक अन्तः जनपदीय स्थानांतरण प्रक्रिया के अंतर्गत प्रदेशभर में 20752 शिक्षकों को स्थानांतरण का लाभ मिला था। जिसमें लगभग 7000 शिक्षक या तो बीएलओ है या उनके पेयर का माथी बीएलओ है। लंबे समय से स्थानांतरण की राह देख रहे ऐसे शिक्षकों की खुशी आपके द्वारा जारी 12.01.24 के पत्र को देखकर समाप्त हो गयी है। जिसमे बीएलओ ड्यूटी, एआरपी, निलंबन एवं अवकाश पर शिक्षक शिक्षिकाओं की कार्यमुक्ति पर रोक लगा दी गयी है। यदि यह प्रतिबंध शासनादेश जारी होने के समय ही लगाए गए होते तो शायद ऐसे शिक्षक स्थानांतरण प्रक्रिया में आवेदन ही नहीं करते। जिससे जोड़े के दूसरे शिक्षक का अहित भी नहीं होता। किन्तु ऐसा न करके प्रक्रिया के संपक्ष/स्थानान्तरण आदेश के उपरांत कार्य मुक्त पर रोक लगाना न्यायोचित नहीं है। इस लिए वर्तमान में बीएलओ द्वारा मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य लगभग पूर्ण किया जा चुका है और जब उसके स्थान पर जाया शिक्षक बीएलओ ड्यूटी करने को प्रतिवद्ध है तो ऐसी स्थिति में ऐसे शिक्षकों को स्थानांतरण से रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है।
साथ ही बताया गया की मातृत्व/बाज्यकाल/चिकित्सकीय अवकास के प्रकरण पर यह स्पष्ट करना है कि स्थानांतरण प्रक्रिया लगभग एक वर्ष में गतिमान है ऐसी स्थिति में ऐसे अवकाश पर जाना सहज है। किंतु इसका हल मध्य में अवकाश समात करना भी हो सकता था न कि कार्य मुक्त से रोकना? इसमें किस प्रकार का शैक्षिक हित समाहित है यह समझ से परे
इस लिए सचिव से अनुरोध किया गया है कि अंतः जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण के संबंध में जारी शासनादेश के अनुसार, बिना किसी फेर बदल के, समस्त अहं शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का आदेश दिया जाये ।