बीसलपुर के कोतवाली पुलिस ने 25 अक्तूबर को हुए पप्पू हत्याकांड के आरोपियों की नामजदगी प्रथम दृष्टया संदिग्ध पाई है। पुलिस ने विवेचना में पाया है कि पप्पू ने अपने देनदारी से बचने और विरोधियों को फंसाने के लिए स्वयं ही अपने को गोली मार ली थी, लेकिन बाद में खून ज्यादा बह जाने से उसकी मौत हो गई।
25 अक्तूबर को मोहल्ला ग्यासपुर निवासी श्रमिक ठेकेदार पप्पू बख्श (35) को देर रात कोतवाली क्षेत्र के गांव चौसरा के पास संदिग्ध हालात में गोली लग गई थी। गोली उसकी बाई जांघ में लगी। पप्पू को पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया।
घर वाले उसे इलाज के लिए बरेली ले जा रहे थे, रास्ते में अधिक खून बह जाने के कारण उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया था। मृतक की पत्नी शबीना बेगम ने दर्ज कराई रिपोर्ट में मोहल्ले के ही जमाल, बबलू, हसनैन और कोतवाली क्षेत्र के गांव रसायाखानपुर निवासी दूल्हा मिंयां को नामजद किया था।
रिपोर्ट में कहा गया था कि इन लोगों ने व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के चलते पप्पू की गोली मारकर हत्या कर दी। इस संबंध में कोतवाल अशोक पाल ने बताया कि प्रथम दृष्टया विवेचना में पाया गया कि है नामजद आरोपी घटना वाली रात बीसलपुर में मौजूद ही नहीं थे। यह भी सामने आया है कि पप्पू पर काफी लोगों का पैसा बकाया था।
पप्पू ने देनदारी से बचने और अपने प्रतिद्वंद्वियों को झूठे मामले में फंसाने के लिए अपनी बांई जांघ में स्वयं ही गोली मार ली। इत्तफाक से घाव गहरा हो गया और काफी खून निकल गया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इन तथ्यों की जानकारी विभागीय उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। बहुत जल्द मामले की विवेचना पूरी कर ली जाएगी।