जनपद के 273 स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाए जा रहे हैं, ताकि यहां पढ़ने वाले बच्चों को हाईटेक बनाया जा सके। लेकिन दुर्भाग्य है कि अब तक इन क्लासों में न तो कंप्यूटर लग सके हैं और न ही प्रोजेक्टर मिले हैं। इसके अलावा अन्य उपकरणों का भी अभाव है। ऐसे में अब तक यहां पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है।निजी स्कूलों में जिस तरह कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, एलईडी आदि उपकरणों से बच्चों को शिक्षा दी जाती है, उसी तरह सरकारी स्कूलों में प्रक्रिया शुरू की गई। पहले चरण में जनपद के 273 स्कूलों को चुना गया और स्मार्ट क्लास के कक्ष तैयार किए गए।
स्मार्ट क्लास का निर्माण पूरा होने के बाद यहां पर कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, एलईडी, प्रयोगशाला आदि की सुविधाएं मुहैया कराई जानी थी, जो आज तक पूरी नहीं हो सकीं हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि टेंडर की प्रक्रिया में देरी के कारण ऐसा हो रहा है।
बिलसंडा में सबसे अधिक स्मार्ट क्लाससबसे ज्यादा 54 स्मार्ट क्लास बिसलंडा ब्लाॅक क्षेत्र के स्कूलों को मिले हैं। इसी तरह अमरिया में 34, बरखेड़ा में में 33, बीसलपुर में में 28, ललौरीखेड़ा में 35, मरौरी में 40, पूरनपुर में 47, बीसलपुर नगर में तीन और पीलीभीत नगर में में चार स्मार्ट क्लास बनाए गए हैं।
स्मार्ट क्लास के यह हैं मानकक्लास में लगने वाले उपकरणों की सुरक्षा के स्थायी प्रबंध, चयनित कमरे में अर्थिंग की केबल दबी हाे, नोडल अधिकारी सहित कंप्यूटर टीचर्स, पावर सप्लाई सुचारू, कंप्यूटर लैब की इंटरनेट कनेक्टिविटी आदि।
सत्यापन में लगाए गए जिलास्तरीय अफसरजनपद में बनाए गए स्मार्ट क्लासों के सत्यापन के लिए जिलास्तरीय अफसर नामित गए गए हैं। बताया जा रहा है कि अब तक 50 फीसदी से अधिक सत्यापन हो चुका है। सत्यापन के दौरान पाई जाने वाली खामियों को दुरुस्त किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने और खामियां दुरुस्त होने के बाद स्मार्ट उपकरण लगाए जाने की प्रक्रिया होगी।
जनपद के 273 स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाए जा रहे हैं। सत्यापन का काम चल रहा है। कप्यूटर, प्रोजेक्टर सहित अन्य उपकरण लगाए जाने हैं, जो शासनस्तर से भेजे जाएंगे। वहां से मिलते ही जिले में जल्द ही स्मार्ट क्लास शुरू हो जाएंगे।