पीलीभीत में वाहनों में जीपीएस न लगवाने वाले ठेेकेदारों की मनमानी इतनी हावी है कि वह अफसरों के आदेशों को भी नहीं मान रहे। जीपीएस लगवाने के लिए अफसर ठेकेदारों से नोटिस का खेल खेलकर उनको पूरा मौका दे रहे हैं। इसके चलते केंद्रों पर लगे धान के बोरों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा होने लगा है। हालत यह है कि केंद्र प्रभारी पहले धान को छुट्टा पशुओं से बचा रहे हैं और इसके बाद विभागीय काम कर रहे हैं।
इस बार धान खरीद को पूर्ण पारदर्शिता के साथ कराने के लिए शासन ने कई नियमों में बदलाव किया है। यही नहीं केंद्रों से धान उठान में होने वाले घपलेबाजी को रोकने के लिए हर हाल में सभी वाहनों में जीपीएस लगवाने के आदेश दिए थे। शासन के आदेश थे कि बिना जीपीएस के वाहनों के उठान नहीं होगा। शासन के इस आदेश से जहां ठेकेदारों में खलबली मच गई तो कई अधिकारी भी सकते में आ गए थे।
कारण था कि इस खेल पर विराम लग जाएगा। शुरुआती दौर में जीपीएस को लेकर ठेकेदारों ने दौड़ भाग शुरू की। जब बात नहीं बनी तो सख्ती के चलते कुछ ठेकेदारों ने लगवाना शुरू कर दिया था। शेष बीस ठेकेदार अब भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। बताया जाता है कि इन लोगों पर सत्ताधारियों का हाथ है। ऐसे में अधिकारी कार्रवाई तो नहीं कर पा रहे बल्कि नोटिस का खेल शुरू करते हुए उनको बराबर मौका दिया जा रहा है। ऐसे में केंद्र पर लगा धान खराब हो रहा है। नोटिस के खेल में केंद्र प्रभारी खुद को कार्रवाई से नहीं बचा पा रहे हैं। यदि केंद्र से धान गायब होता तो प्रभारी की ही जवाबदेही होगी। इस दशा से निपटने के लिए प्रभारी मंडी में खरीद करने में कम और धान को बचाने के लिए आवारा पशुओं और बंदरों को भगाने पर अधिक जोर दे रहे हैं। मंडी में हर केंद्र पर प्रभारी हाथ में डंडा लेकर पशुओं को भगाता ही दिखाई देता है।
ठेकेदारों को नोटिस और जिला प्रबंधकों को दी जा चुकी है चेतावनी
वाहनों मेें जीपीएस लगवाने के लिए ठेकेदारों को तीन बार नोटिस जारी किया जा चुका है। इसके बाद भी अफसर कार्रवाई नहीं कर सके हैं। ऐसे में ठेकेदारों की मनमानी और बढ़ गई है। वहीं समीक्षा के दौरान उठान न होने पर डीएम की ओर से एजेंसी के कुछ जिला प्रबंधकों को कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा चुकी है।
वाहनों पर जीपीएस लगवाए जा रहे हैं। बीस ठेकेदारों पर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।- वीके शुक्ला, डिप्टी आरएमओ