उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में शपथकर्ता के बिना फोटो के शपथपत्र और वकील की बिना मोहर वाला प्रार्थनापत्र स्वीकार करने पर जिला जज ने नाराजगी जताई है। दीवानी न्यायालय के कंप्यूटर लिपिक से जिला जज सुधीर कुमार ने तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। भविष्य में पूरी औपचारिकताओं वाले अभिलेख ही स्वीकार करने की हिदायत दी है।
जिला जज सुधीर कुमार के न्यायालय में धर्मेंद्र उर्फ भूरे के नाम से एक स्थानांतरण प्रार्थनापत्र दिया गया। स्थानांतरण प्रार्थनापत्र के साथ दिए गए प्रार्थनापत्र पर एके चौहान एडवोकेट का नाम अंकित किया गया है। जानकारी होने पर भूरे अपने अधिवक्ता एमके भारद्वाज के माध्यम से जिला जज के न्यायालय में उपस्थित हुआ। उसने बताया कि प्रार्थनापत्र पर उसके हस्ताक्षर नहीं हैं। उसने अपने मुकदमे में किसी और को वकील भी नहीं किया है।
प्रार्थनापत्र और शपथपत्र पर लिखे नाम वाले अधिवक्ता अमित कुमार ने न्यायालय में प्रार्थनापत्र देकर बताया कि शपथ-पत्र और प्रार्थनापत्र पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। वकालतनामा और प्रार्थनापत्र पर उनके हस्ताक्षर और मोहर नहीं है। शपथ पत्र पर शपथकर्ता का फोटो भी नहीं है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय के कंप्यूटर लिपिक से जिला जज सुधीर कुमार ने तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। भविष्य में पूरी औपचारिकताओं वाले अभिलेख ही स्वीकार करने की हिदायत दी है। जिला जज ने आदेश की एक प्रति बार एसोसिएशन में भी भेजी है।
एफटीसी न्यायालय में चल रहा मुकदमा
धर्मेंद्र उर्फ भूरे के खिलाफ थाना घिरोर में दुष्कर्म करने की रिपोर्ट चार साल पहले दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच करने के बाद भूरे के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में भेज दी। मुकदमे की सुनवाई एफटीसी प्रथम के न्यायालय में की जा रही है। इस मुकदमे में गवाही पूरी होने के बाद भूरे की ओर से उनके वकील एमके भारद्वाज बहस भी कर चुके हैं।