पीलीभीत में पुलिस हिरासत में हुई वशी खां के मौत के मामले में भले ही जबरदस्त हंगामे के बाद परिजनों ने चुप्पी साध ली हो लेकिन मामला अब मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है। मानवाधिकार आयोग ने मामला दर्ज कर लिया है। मानवाधिकार आयोग की जांच में अब बरखेड़ा पुलिस फंस सकती है। पुलिस की बनाई कहानी में इतना झोल है कि वह इस मामले में पूरी तरह से फंसती नजर आ रही है।
बरखेड़ा थाना पुलिस ने बिलसंडा के पहाड़गंज गांव के वशी खां को 26 अक्तूबर की रात को उसके घर से पकड़ा था। पुलिस का कहना है कि वशी को पकड़कर थाने ले आया गया। यहां रात करीब 10.45 बजे फिर रात 2.35 बजे उसकी तबियत खराब हुई। 2.35 बजे उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। 3.55 बजे वशी मेडिकल कॉलेज पहुंचा, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया था ये कारण
सरकारी कागजों में वशी की मौत तड़के हो चुकी थी। 27 अक्तूबर का पूरा दिन बीत गया, लेकिन पोस्टमार्टम नहीं हो सका। शाम को सवा छह बजे पोस्टमार्टम हुआ। पूरनपुर के डॉक्टर सौरभ गंगवार व अमरिया के डॉ. प्रदीप कुमार ने पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हार्ट अटैक होना पाया गया। शरीर पर चोट के निशान भी मिले। पीठ व हाथों पर चोट के निशान भी मिले। इतना ही नहीं जब वशी के शव ले जाया जा रहा था, तब उसके सिर पर पट्टी बंधी साफ दिख रही थी
मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान ले लिया है। मानवाधिकार आयोग कार्यालय लखनऊ की तरफ से बताया गया कि इस मामले को पंजीकृत कर लिया गया है। जिले की पुलिस की रिपोर्ट भी आ गई है। इसमें हार्ट अटैक से मौत होना बताया गया है। मानवाधिकार आयोग की जांच में अब बरखेड़ा पुलिस को तमाम सवालों के जवाब देने होंगे।
थाने के पुलिसकर्मियों में खलबली
पुलिस हिरासत में हुई वशी की मौत के बाद बरखेड़ा थाने के पुलिसकर्मियों ने चुप्पी साध ली है। कोई कुछ बताने को तैयार नहीं। जांच में 27 अक्तूबर को बरखेड़ा थाने के पहरा से लेकर जीडी में इंट्री करने वाले मुंशी, थाने के नाइट इंचार्ज, हवालात पहरा सबसे पूछताछ हो सकती है। सीएचसी में भर्ती कराने वाले दरोगा मनवीर सिंह व जिला अस्पताल में भर्ती कराने वाले सिपाही अंकित कुमार को भी जवाब देना होगा। इससे थाने के पुलिसकर्मियों में खलबली मची हुई है।