सरकारी स्कूलों में बच्चों का पेट भरने वाली तीन हजार रसोइयों को पिछले पांच महीनों से मानदेय नहीं मिला है। नवरात्र और दशहरा बिना मानदेय निकल गया। करवाचौथ, दिवाली और भैयादूज भी करीब है, इससे चिंता और बढ़ गई है। ऐसे में आज रसोइयों ने रामलीला मैदान में एकत्र होकर आगे की रणनीति तय की।
जनपद के सरकारी स्कूलों में करीब ढाई लाख बच्चे पढ़ते हैं, जिनको मिड-डे मील योजना के तहत स्कूल में ही दोपहर का भोजन दिया जाता है। भोजन बनाने के लिए रसोइयों को नियुक्त किया गया है, जिनको दो हजार रुपये मानदेय मिलता है। हाल यह है कि पिछले पांच माह से इन रसोइयों को मानदेय नहीं मिला है, जिसकी वजह से वे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
यहां बता दें कि जिले में करीब तीन हजार रसोइये स्कूलों में भोजन बनाने का काम करती हैं। छात्र संख्या के आधार पर रसोइयों की तैनाती होती है। अब मानदेय न मिलने से उनके आगे आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। मानदेय को लेकर कई बार आवाज उठाई, पर उनकी एक न सुनी गई।
रसोइयों ने बयां किया दर्द
नवरात्र, दशहरा बिना मानदेय निकल गया। अब करवाचौथ, दिवाली और भैयादूज आने वाली है। मानदेय दिए जाने की मांग को लेकर ही हम सब यहां जुटे हैं। – वीनू शर्मा, जिलाध्यक्ष रसोइया एसोसिएशन
कर्मचारी लगातार अपनी सेवाएं देते हैं, बावजूद इसके समय पर मानदेय नहीं मिलता। रसोइयों का अगर समय से मानदेय नहीं मिला तो आगे का त्योहार कैसे मनाएंगे। -राम सिंह राठौर, संरक्षक रसोइया एसोसिएशन
आखिरी बार सितंबर के महीने में रसोइयों के खाते में मानदेय भेजा गया था। पांच महीने का मानदेय अभी रुका हुआ है। वह आने पर भेज दिया जाएगा। -अमित कुमार सिंह, बीएसए
मानदेय नहीं मिला तो काम करना होगा मुश्किल
पीलीभीत के पांच माह से मानदेय न मिलने से परेशान रसोइयों ने रविवार को पीलीभीत के रामलीला मैदान में एकत्र होकर अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाई। रसोइयों ने कहा कि अगर जल्द उनको बकाया मानदेय नहीं मिला तो आगे काम करना मुश्किल होगा। साथ ही रसोइयों को 10 हजार रुपये प्रत्येक माह मानदेय दिए जाने को लेकर भी बात रखी। कहा कि इस महंगाई में दो हजार रुपये बहुत कम है। बैठक में एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष वीनू शर्मा, लक्ष्मी देवी, वेलावती, संतोषी, मैनादेवी, रजनी राय, प्रतिभा विश्वास, रामश्री आदि मौजूद रहीं।