जीवन के तमाम झंझावातों को झेलते हुए फर्रुखाबाद शहर के निवासी राधेश्याम कुशवाह विजय जो साहित्य की मूक साधना में लगे रहे। और देखते-देखते तकरीबन एक दर्जन पुस्तकें प्रकाश में आ गर्यो। जिनमें कहानी संग्रह, कविता संग्रह, उपन्यास, बाल साहित्य, फेसबुक के नगोने लिखकर श्री कुशवाहा ने नगर को साहित्य जगत को समृद्ध किया है। भले ही वे स्वास्थ्य कारणों से कवि-सम्मेलनों के मंचों पर नहीं दिखाई देते लेकिन अनवरत चल रही उनकी साहित्य साधना संघर्ष कर रही युवा पौदों को प्रेरणा देने के लिए पर्याप्त है। विजय बहुत ही साधारण किन्तु गंभीर सोच वाले व्यक्ति हैं।
बातचीत के दौरान राधेश्याम कशवाहा विजय ने बताया कि उनका जन्म 1961 में हुआ। शिक्षा के बाद संघर्षपूर्ण जीवन जीते हुए वे गैस एजेंसी में प्रबंधक के पद कार्य करते रहे। 2012 में ब्रेन अटैक से पैरालाइसिस के शिकार हो गये तब से घर पर रहकर स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। उनके लेखन के लिए उन्हें वेस्ट लीडरशिप एवार्ड 2020. सीबीजी एजुकेशन इण्टरनेशनल द्वारा दिया गया।
अब एक रिपोर्ट के अनुसार साहित्यकार राधेश्याम कुशवाहा विजय को उनके द्वारा विकसित ज्यामितीय लिपि एवं ज्यामितीय अंकों पर अब तक उन्हें दो-दो वर्ल्ड रिकॉर्ड्स धारक बना दिया है। पहले विश्व रिकॉर्ड होल्डर ” होप इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन” बनाया था। लेकिन अब संयुक्त राज्य अमेरिका के एक प्रतिष्ठित आर्गनाइजेशन ” ब्रेवो इंटरनेशनल वर्ल्ड आर्गनाइजेशन ने उन्हें विश्व रिकॉर्ड होल्डर बनाया है। इस समय विजय कुशवाहा अपने आविष्कार के प्रमोशन में जुटे हैं। इस पर तैयार पुस्तक को वे देश के माननीय प्रधानमंत्री जी को एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को भी भेज चुके हैं। उनका कहना है कि दुनिया का हर आविष्कार प्रसिद्ध होने में समय लेता है। यह एक सतत प्रक्रिया होती है जो लगातार चलती रहती है। विजय कुशवाहा को भरोसा है कि एक दिन हमारे इस अन्वेषण से हमारे देश भारत का नाम होगा। इस बात से विजय कुशवाहा के परिवारी लोगों और उनके शुभचिंतकों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोग उन्हें अभी शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे हैं।