कलीनगर के बांसखेड़ा क्षेत्र में दहशत का पर्याय बने बाघ को पकड़ने के लिए अब रामपुर के डीएफओ राजीव कुमार को भेजा गया है। आबादी क्षेत्र में बाघ की सक्रियता कम करने के लिए दो हाथियों से निगरानी शुरू कर दी गई है। हालांकि बृहस्पतिवार को विभागीय टीम बाघ की मौजूदगी ट्रेस नहीं कर सकी।
माधोटांडा क्षेत्र के गांव बासखेड़ा में बाघ ने 27 सितंबर को आबादी के निकट एक बाग में डेरा जमा लिया था। सात दिन तक बाघ यहां मौजूद रहा। इस दौरान वन विभाग की ओर से दो बार रेस्क्यू कर बाघ को बेहोश करने के प्रयास किए गए, लेकिन वह बेहोश नहीं हो सका। बाद में जाल के नीचे से निकलकर भाग गया। उच्च अफसरों के निर्देश पर बृहस्पतिवार को रामपुर के डीएफओ राजीव कुमार रेस्क्यू की जिम्मेदारी संभालने पहुंचे।
माला रेंजर रोबिन कुमार सिंह के साथ बांसखेड़ा गांव के आसपास बाघ की लोकेशन ट्रेस करने के प्रयास किए गए। इसके अलावा आबादी की ओर बाघ की सक्रियता को कम करने के लिए माला रेंज से दो हाथियों को भी निगरानी के लिए भेज दिया गया है। सूर्या और भीमा हाथी से महावत बाघ की निगरानी में जुटे हैं। ग्रामीणों को कहना है कि आसपास क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी देखी जा रही है। माला रेंजर रोबिन कुमार सिंह ने बताया कि डीएफओ रामपुर के नेतृत्व में निगरानी शुरू की गई है। बाघ की लोकेशन मिलने के बाद उसे पकड़ने का अभियान शुरू किया जाएगा।