मैनपुरी के बरनाहल के नगला हीरा लाल की रहने वाली एक वृद्धा जब बैंक में पेंशन लेने पहुंची तो पता चला कि वह मर चुकी है। बैंक मरे हुए लोगों को पेंशन नहीं देती। अब महिला खुद को जीवित साबित करने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रही है। लेकिन अभी तक कागजों में वह मृत है। कोई सुनवाई भी नहीं हो रही है।
नगला हीरालाल निवासी सुमन देवी (60) को पति ज्ञान सिंह की मौत के बाद से विधवा पेंशन मिलना शुरू हुआ था। वृद्धा पेंशन से ही अपनी गुजर बसर कर रही थी। इस बार भी करीब 15 दिन पहले जब वह कस्बा स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में पेंशन निकालने पहुंची तो पता चला कि खाते में पेंशन नहीं आई है। जब बैंक कर्मी से पूछा तो बताया कि उनकी मृत्यु हो चुकी है। जिस कारण से पेंशन बंद हो गई है। अपनी मौत की खबर बैंक कर्मी की जुबान से सुन कर वृद्धा दंग रह गई। उसने कहा कि वह तो जिंदा है। लेकिन सभी ने अनसुना कर दिया।
समाज कल्याण विभाग पहुंची पीड़िता
इसके बाद वृद्धा समाज कल्याण विभाग पहंची। वहां से उसे खंड विकास कार्यालय भेज दिया गया। परेशान वृद्धा का कहना है कि कागजों में मरने के बाद से वह खुद को जीवित करने के लिए कभी पंचायत सचिव तो कभी प्रधान। कभी बैंक और अधिकारियों के चक्कर लगा रही है। लेकिन कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उसे पेंशन भी नहीं मिल पा रही है।
परिवार रजिस्टर में है जीवित
वृद्धा ने बताया कि वह अधिकारियों के चक्कर लगा रही है। सभी से कह रही है कि वह जीवित है। लेकिन कोई भी कुछ नहीं कर रहा है। जब कि परिवार रजिस्टर में वह जीवित है यह बात दर्ज है। फिर भी कहीं कोई सुनवाई नहीं है।