उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में बुधवार ग्रामीण रोते बिलखते कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी को अपनी व्यथा सुनाई। साथ ही समस्या के निस्तारण के लिए ज्ञापन सौंपा। कहा कि साहब सौ साल पहले पूर्वजों ने घर बनाया था। अब रेलवे द्वारा उन्हें तोड़ा जा रहा है। बचे हुए लोगों को भी घर खाली करने का फरमान सुनाया गया है। हमारे आशियाने बचा लीजिए।
मामला भोगांव तहसील क्षेत्र के मोहनपुर गांव का है। गांव में रेलवे लाइन के किनारे बने करीब 30 मकानों को रेलवे विभाग ने मंगलवार की शाम ढहा दिया। इससे कई ग्रामीण बेघर हो गए हैं। वहीं रेलवे विभाग ने 20 दिन में सारे मकान तोड़ने का फरमान सुना दिया है। कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों ने अधिकारियों से कहा कि साहब सौ साल से हमारे परिजन यहां मकान बनाकर रहे रहे हैं। राजस्व विभाग में दर्ज जमीन के हिसाब से नियमों का पालन भी कर रहे हैं। इसके बाद भी उनको बेघर कर दिया गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि राजस्व विभाग के नक्से के अनुसार रेलवे लाइन के एक और 19 मीटर दौर दूसरी और 22 मीटर जगह रेलवे विभाग की दर्ज है। ग्रामीणों ने अपने मकान भी निर्धारित सीमा के बाहर बनाए हैं। ग्रामीणों का कहना था कि पांच सितंबर को रेलवे विभाग की टीम पुलिस के साथ गांव पहुंची और यहां करीब 30 मकान तोड़ दिए।
ग्रामीणों ने बताया कि उन लोगों को चेतावनी दी गई है कि रेलवे लाइन से 29 मीटर दोनों तरफ जगह पूरी तरह से खाली कर दी जाए। 20 दिन बाद फिर से कार्रवाई होगी इस दौरान जो भी हद में आएगा उसके मकान तोड़ दिए जाएंगे। ग्रामीणों का कहना था कि वे और उनके परिजन करीब सौ साल से मकान बनाकर रहे रहे हैं।
बताया कि यदि 29 मीटर दूरी का पालन किया गया तो किसी का मकान नहीं बचेगा। ग्रामीणों ने राजस्व विभाग में दर्ज रिकार्ड के अनुसार जगह सुरक्षित करने की मांग की। प्रदर्शन करने वालों में अमित कुमार, सुनीता देवी, चांदनी, पूजा, कंठश्री, ऊषा देवी, रेखा देवी, पिंकी, मीरा देवी आदि ग्रामीण शामिल थे।
मेरा मकान सौ साल से भी अधिक समय का बना हुआ था। बिना किसी नोटिस के ही मेरा मकान गिरा दिया गया है। गिराने से पहले चेतावनी तो देनी चाहिए थी।
मेरा मकान वर्षों से बना हुआ है पहले कभी रेलवे ने कोई नोटिस आदि नहीं दिया अब अचानक हम लोगों को वेघर किया जा रहा है। -दयाशंकर
ग्रामीणों ने राजस्व विभाग में दर्ज नक्से के अनुसार रेलवे की जगह छोड़कर अपने मकान बनाए थे। आज भी वहीं मकान बने हैं। रेलवे ने अचाकन अपनी हद बढ़ा दी है। इससे ग्रामीण वेघर हो रहे हैं। -उमाशंकर
जैसे तैसे एक-एक पैसा एकत्रित कर मकान बनवाया था अब अचानक रेलवे ने मकान गिराने शुरू कर दिए हैं। रेलवे की हद का पत्थर भी लगा है उससे दूरी पर घर बने हैं अब अचानक रेलवे ने अपनी हद बढ़ा दी है। -सुनील कुमार