फर्रुखाबाद, 29 अगस्त 2023 डेंगू मरीज की पहचान न होने और समय से इलाज न होने पर खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। लोगों को भी चाहिए कि अगर डेंगू के लक्षण नजर आएं तो तुरंत सरकारी अस्पताल में जाकर निःशुल्क जांच कराएं और इलाज कराएं। यह कहना है वेक्टर बॉर्न डिजीज के नोडल अधिकारी डॉ आर सी माथुर का l
डॉ माथुर ने कहा कि पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने, मच्छर रोधी अगरबत्ती व मच्छरदानी का प्रयोग करने, कहीं भी साफ पानी का ठहराव न होने देने, साफ पानी के ठहराव वाले घरेलू व सामुदायिक स्थानों की नियमित सफाई करने और लक्षण नजर आने पर तुरंत अस्पताल जाने जैसे पांच मंत्रों को अगर लोग अपना लें तो डेंगू का प्रसार रुक जाएगा ।
वहीं जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) नौशाद ने डेंगू प्रभावित क्षेत्र रोशनाबाद में लोगों को डेंगू से कैसे बचें, इसकी जानकारी दी और प्रचार प्रसार सामग्री का वितरण भी किया l डीएमओ ने बताया कि डेंगू एक मच्छर जनित बुखार है| सिर्फ प्लेटलेट्स काउंट कम होने को ही डेंगू नहीं कह सकते,जब तक एलाइजा टेस्ट पॉजिटिव न आये| उन्होंने बताया कि ठण्ड लगने के साथ अचानक तेज बुखार चढ़ना| सिर, मांस पेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना| आँखों के पिछले भाग में दर्द होना जो आँखों को दबाने या हिलाने से और भी बढ़ जाता है| अत्यधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मिचलाना| मुंह के स्वाद का खराब होना| गले में हल्का सा दर्द होना| शरीर में लाल ददोरे —रैशिस- का होना आदि डेंगू के लक्षण हैं|
मलेरिया निरीक्षक नरजीत कटियार ने रोशनाबाद में लोगों को डेंगू के प्रति जागरूक करने के साथ ही 146 घरों में 378 लार्वा स्रोत का निरीक्षण किया इस दौरान 41 लार्वा स्रोत को मौके पर ही नष्ट कराया l साथ ही लार्वा निरोधक दवा का छिड़काव भी किया गया lउन्होंने बताया कि डेंगू का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खास एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से ही होता है। यह मच्छर सामान्यतया दिन में काटते हैं और ठहरे हुए साफ पानी में ही पनपते हैं । सतर्कता ही इस बीमारी से बचाव है। मधुमेह के मरीजों और गर्भवती को खासतौर पर सतर्क रहने की आवश्यकता है।
जिला महामारी विशेषज्ञ डॉ रणधीर सिंह ने कहा कि दुनिया भर में मच्छरों की 2500 प्रजातियां हैं। अधिकतर संक्रामक बीमारियां इनके काटने से होती हैं। इनमें से डेंगू भी एक मच्छर जनित बीमारी है, जो मादा एडीज मच्छर के काटने से होती है। मादा मच्छर साफ ठहरे हुए पानी में अंडे देती हैं और इनका विकास इतनी तेजी से होता है कि सात दिन में लार्वा और मात्र 10 से 14 दिन में एक वयस्क मच्छर तैयार हो जाता है। पानी की खुली टंकियां ,गमलें के नीचे रखी प्लेट, पशु पक्षी के पीने का पानी, छत पर रखे कबाड़ व पुराने टायर, फ्रिज के नीचे की ट्रे, टूटे बर्तन में जमा थोड़ा पानी भी इनके पनपने के लिए पर्याप्त होता है। इस दौरान वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक अशोक यादव सहित स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद रही l