शारदा में मिलने वाली अन्य सहायक नदियों पर कोई भी बांध मौजूद नहीं हैं. ऐसे में पहाड़ों पर बारिश के बाद सहायक नदियों के सहारे पानी शारदा में मिलता है, जिस वजह से शारदा नदी विकराल रूप ले लेती है
शारदा में मिलने वाली अन्य सहायक नदियों पर कोई भी बांध मौजूद नहीं हैं. ऐसे में पहाड़ों पर बारिश के बाद सहायक नदियों के सहारे पानी शारदा में मिलता है, जिस वजह से शारदा नदी विकराल रूप ले लेती है..
लगभग हर साल पीलीभीत में शारदा नदी से सटे इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. कई बार स्थिति काफी गंभीर हो जाती है. लेकिन, इसके पीछे की प्रमुख वजह केवल शारदा नदी ही नहीं, बल्कि शारदा नदी में मिलने वाली दो पहाड़ी नदियां भी हैं. पीलीभीत उत्तराखंड की शिवालिक पर्वतमाला की तराई में बसा जिला है.वहीं जिले में स्थित इंडो नेपाल सीमा के नजदीक से ही शारदा नदी भी गुजरती है. इस नदी के किनारे पीलीभीत की पूरनपुर व कलीनगर तहसील के दर्जनों गांव हैं. वैसे तो इन इलाकों के लिए शारदा लाइफ लाइन मानी जाती है. लेकिन बरसात के मौसम में इस इलाके में बसे ग्रामीणों के लिए परिस्थितियां विषम होती जाती हैं. तकरीबन हर साल ही ग्रामीणों को बाढ़ से जूझना पड़ता है.
सहायक नदियों पर कोई बांध मौजूद नहींउत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों से निकलने वाली पहाड़ी नदियां भी शारदा नदी में आ कर मिलती हैं. गौरतलब है कि शारदा नदी पर पीलीभीत में प्रवेश करने से पहले दो बांध बने हुए हैं. पहला उत्तराखंड के टनकपुर व दूसरा बनबसा में है. इन दोनों बैराजों से नियंत्रित रूप से पानी रिलीज किया जाता है. लेकिन शारदा में मिलने वाली अन्य सहायक नदियों पर कोई भी बांध नहीं हैं. ऐसे में पहाड़ों पर बारिश के बाद सहायक नदियों के सहारे पानी शारदा में मिलता है, जिस वजह से शारदा विकराल रूप ले लेती है.
ये नदी बनती हैं वजहशारदा नदी में भारत की सीमा में जगबूढ़ा नामक नदी, वहीं नेपाली सीमा में बमनी नदी मिलती हैं. इन दोनों नदियों पर किसी प्रकार का कोई बांध नहीं बना है. ऐसे में पहाड़ों पर तेज बारिश के दौरान ये नदियां उफान पर रहती हैं. जिससे शारदा नदी में मिलने के बाद शारदा का जलस्तर और अधिक बढ़ जाता है.