छह जुलाई को सपा ने बरेली क्षेत्र के 225 वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों वर्तमान एवं पूर्व पदाधिकारी-प्रत्याशी बुलाए थे। लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर लंबी चर्चा हुई। बरेली मंडल में सीटों पर संभावनाएं बताई-सुनी गईं। पार्टी के कुछ नेता बताते हैं कि बैठक के दौरान पीलीभीत सीट को लेकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विशेष दिलचस्पी दिखाई।
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी पीलीभीत सीट पर बड़ा दांव खेलने की जुगत में है। पिछले महीने लखनऊ में हुई बैठक में इसके संकेत दिए जा चुके। पार्टी का कदम चौंकाने वाला हो सकता है, इसका आभास पीलीभीत के पुराने पार्टी नेताओं को भी होता दिख रहा।
पीलीभीत सीट पर अखिलेश ने दिखाई दिलचस्पी
छह जुलाई को सपा ने बरेली क्षेत्र के 225 वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों, वर्तमान एवं पूर्व पदाधिकारी-प्रत्याशी बुलाए थे। लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर लंबी चर्चा हुई। बरेली मंडल में सीटों पर संभावनाएं बताई-सुनी गईं। पार्टी के कुछ नेता बताते हैं कि बैठक के दौरान पीलीभीत सीट को लेकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विशेष दिलचस्पी दिखाई।
उन्होंने संकेत दिया कि वहां कोई बड़ा निर्णय लेने पर विचार कर रहे हैं। उनका यह कहना स्थानीय नेताओं के संवाद समाप्ति का इशारा था। जिसके बाद माना जाने लगा कि स्थानीय तैयारियों से नहीं, बल्कि शीर्ष नेतृत्व की विशेष रणनीति से पीलीभीत का चुनाव लड़ा जाएगा।
हो सकते हैं बड़े बदलाव
स्थानीय नेता कयास लगाते हैं कि पीलीभीत को लेकर ऐसी दिलचस्पी नये प्रयोग की ओर ले जाएगी। इसके अलावा बरेली मंडल की बदायूं सीट पर धर्मेंद्र यादव की वापसी को लेकर कोई संशय जाहिर नहीं किया गया। यदि उस सीट से धर्मेंद्र यादव ही प्रत्याशी बने तो पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के सामने असहज स्थिति होगी।
फिलहाल उनकी सांसद बेटी डा. संघमित्रा मौर्य भाजपा से ही दावेदारी कर रहीं। आंवला में सपा पिछड़ा वर्ग का प्रत्याशी उतारने पर विचार कर रही। बरेली में मुस्लिम-सवर्ण पर दांव खेला जा सकता है, जबकि शाहजहांपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए है।