फर्रुखाबाद, 29 जून 2023 जनपद में प्रसव पश्चात आईयूसीडी में पिछले चार वर्षो से लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है l महिलाएं गर्भधारण से बचने के लिए सीएचसी पर प्रसव के तुरन्त बाद इस साधन को अपना रहीं हैं l जहाँ एक ओर वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5374 महिलाओं ने प्रसव पश्चात आईयूसीडी को अपनाया वहीँ वर्ष 2020-21 में 7857 महिलाओं ने, वर्ष 2021-22 में 10492 महिलाओं ने , वर्ष 2022 23 में 12,959 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी को अपनाया। इस वर्ष 2023-24 में 30 मई तक कुल 1284 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी को अपनाया है l
परिवार नियोजन के नोडल और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि मातृ एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखना चाहिए। उससे पहले दूसरे गर्भ को धारण करने योग्य महिला का शरीर तैयार नहीं हो पाता और पहले बच्चे के उचित पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बहुत जरूरी होता है। बताया कि इसके लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन तक उचित गर्भ निरोधक सामग्री पहुंचाने के लिए एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को भी समय-समय पर दक्ष करने का प्रयास किया जाता है। जिसके फलस्वरूप अब लोगों का झुकाव परिवार नियोजन के साधनों के प्रति बढ़ रहा है l
उन्होंने बताया कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर यानि अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले महिला आईयूसीडी लगवा सकती है। एक बार लगने के बाद इसका असर पांच से दस साल तक रहता है। पीपीआईयूसीडी लगवाने वाली महिला को 300 रूपए , आशा कार्यकर्ता को 150 रुपए और प्रोवाइडर को 150 रुपए की धनराशि सरकार द्वारा दी जाती है l
जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ बताते हैं की परिवार नियोजन स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शामिल है, जिसके लिए समय-समय पर तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों को लाभार्थियों तक पहुंचाने की हर संभव कोशिश रहती है। इसमें भी दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए कई तरह के अस्थायी गर्भ निरोधक साधन लाभार्थियों की पसंद के मुताबिक उपलब्ध हैं। इसमें एक प्रमुख साधन है पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपी आईयूसीडी) जो कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर लगता है और जब दूसरे बच्चे का विचार बने तो महिलाएं इसको आसानी से निकलवा भी सकती हैं। अनचाहे गर्भ से लंबे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाओं के बीच यह पहली पसंद बना हुआ है l