पूरनपुर। सरकार द्वारा गरीबों को मनरेगा के तहत काम देकर रोजगार देने के उदेश्य से लगातार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कई अधिकारी, कर्मचारी व जनप्रतिनिधि के फर्जीवाड़े से यह पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गई है। मनरेगा योजना ग्रामीण मजदूरों को गांव में ही पूरी तरह से रोकने में असफल हो रहा है। गांव के मजदूर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर गांवों में मनरेगा योजना के तहत बड़े बड़े घोटाले हो रहे हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की शुरूआत बेरोजगार गरीबों के कल्याण के लिए की गई थी, लेकिन सरकार के विकास की यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।कहीं फर्जी जाब कार्ड बनाकर गरीबों के हक की रकम अमीरों के हवाले कर दी गई, तो कहीं कागजों में विकास की गंगा बहाकर धन का गबन हुआ। इसको लेकर एक ग्रामीण ने ग्राम प्रधान पर ग्राम निधि और मनरेगा में घोटाला करने का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की थी। डीएम ने की गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को गांव में पहुंचकर जांच करने के निर्देश दिए। इसके बाद बुधवार को जांच टीम गांव पहुंची और गांव के ग्रामीणों के बयान दर्ज किए।
पूरनपुर तहसील क्षेत्र के गांव गैरतपुर जप्ती निवासी ग्राम पंचायत सदस्य वार्ड नंबर 3 रामदीन के द्वारा ग्राम प्रधान पर ग्राम निधि मनरेगा में घोटाला करने का आरोप लगाकर जिला अधिकारी से शिकायत की थी।बुधवार को पीलीभीत से जांच करने पहुंचे परियोजना विभाग जेसी जोशी और मनरेगा डीसी मृणाल सिंह व ग्राम पंचायत अधिकारी नागेन्द्र ने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में बैठक कर लोगो की शिकायत सुनकर बयान दर्ज किए। इस दौरान कई लोगों का आरोप है कि उनके मनरेगा जॉब कार्ड में दूसरे लोगों को शामिल कर दिया गया। इसी के चलते अधिकारियों ने मामले में जांच कर दोषी पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। इस दौरान कई लोगों के बयान भी दर्ज किए। ग्राम प्रधान राजाराम का कहना है कि उन्हें चुनावी रंजिश के चलते उनको को बदनाम करने को लेकर उक्त लोगों के द्वारा शिकायतें की जा रही हैं।