बरेली – समान नागरिक संहिता मुसलमानों को मंजूर नहीं है- मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रिजवी

बरेली/आंवला – ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी आज आंवला पहुंचे और उन्होंने टाउन एरिया में सैयद आबिद अली साहब को चेयरमैन बनने की जीत की मुबारकबाद पेश की उसके बाद मौलाना ने उनके कार्यालय पर एक प्रेस वार्ता की मौलाना ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि देश में एक ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है जिससे हिंदू और मुसलमानों में नफरत की भावना है यह समाज के लिए और देश के हित के लिए नुकसानदायक है किसी के साथ समान नागरिक संहिता भी एक ऐसा मुद्दा है जो देश हित में नहीं है हमारे हिंदुस्तान में ऐसे समाज के बहुत सारे तबके और संप्रदायिक व समुदाय के लोग रहते हैं जिनकी अलग अलग तहजीब और कल्चर है उसको किसी अखलाक से एक साथ नहीं छोड़ा जा सकता हैं हिंदुस्तान में मुसलमानों के अलावा हिंदुओ में भी अलग अलग तबके और समुदाय के लोग रहते हैं साथ ही आदिवासी और दलितों का भी एक बड़ा तबका रहता है जैनों और सिखों के अलग रिती रिवाज हैं इसी तरह और भी लोग रहते हैं जिनकी अलग-अलग रस्मो रिवाज है अगर हुकूमत यह चाहती है कि इन तमाम समुदाय के लोगों के बाद और तहजीब का कल्चर को एक साथ जोड़ दिया जाए एक कानून बना दिया जाए तो यह नामुमकिन है हिंदुस्तान की पहचान मुख्तलिफ नजरिए मुख्तलिफ रंगो की और मुख्तलिफ कल्चर के नाम से जाना जाता है भारत की दुनिया में जो पहचान है और जो शान है वो इन्ही बुनियादों से है मौलाना ने आगे कहा कि लॉ कमीशन ऑफ इंडिया ने जो सर्कुलर जारी किया है वह जो मुद्दत दी गई है 30 दिन की नाकाफी है यह मुद्दत कम से कम 6 माह की होना चाहिए और साथ ही लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता का कोई भी खाका या मसौदा पेश नहीं किया है इसलिए इस सर्कुलर की कोई हैसियत नहीं है जिस तरह सुझाव मांगे गए हैं तो वह सुझाव किस पर दिए जाएंगे सवालिया निशान खड़ा होता है लॉ कमीशन को चाहिए कि सबसे पहले समान नागरिक संहिता का खाका हिंदुस्तान की आवाम के सामने पेश करें उसके बाद फिर लोगों की या संगठनों की या राजनीतिक लोगों की सुझाव मांगे तब तो बेहतर होगा अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है।

रिपोर्टर परशुराम वर्मा