आंवला – शिक्षा के अधिकार ( आर टी इ ) के अन्तर्गत लक्ष्य गरीब बच्चों को निःशुल्क निजी स्कूलों में शिक्षा दिलाने का था। सरकार के त्रुटिपूर्ण नियम के कारण सामान्य जाति के गरीब बच्चों के अलावा अन्य जातियों के करोड़पति माता पिता के बच्चे भी इस योजना में प्रवेश पाकर कक्षा आठ तक निशुल्क शिक्षा गृहण कर गरीबों के अधिकार पर डाका डाल रहे हैं।
मान्यता प्राप्त शिक्षण संसथाओं के संगठन बेसिक शिक्षा समिति उत्तर प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चन्द्र सक्सेना की विज्ञप्ति अनुसार इस योजना में बच्चों का प्रवेश दिलाने हेतु हर साल अभिभावक आनलाइन आवेदन करते हैं जिसके लिए बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र, बच्चे का फोटो, निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, लगाना अनिवार्य होता है। निवास प्रमाण पत्र के आधार पर निवास क्षेत्र के स्कूलों की लिस्ट आ जाती है जिसमें से आवेदन कर्ता उनके पसन्द का स्कूल चुन सकते हैं।
सामान्य जाति के आवेदक माता पिता की वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम होने की बाध्यता है जिसके लिए उन्हें आय प्रमाणपत्र संलग्न करना होता है। जबकि अन्य जातियों के लिए अधिकतम वार्षिक आय की कोई बाध्यता नहीं है इस कारण वे आय प्रमाणपत्र की जगह जाति प्रमाणपत्र लगा देते हैं। इस कारण से सामान्य जाति के गरीब बच्चों के साथ ही साथ अन्य जातियों के करोड़पति के बच्चे भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
श्री जगदीश ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हर जाति के माता पिता की अधिकतम वार्षिक आय निर्धारित की जाये, स्कूलों को रुपए चार सौ पचास शुल्क प्रतिपूर्ति प्रति बच्चा प्रतिमाह बढ़ा कर रुपए एक हजार एक सौ की जाए और प्रतिवर्ष नियमित इस धनराशि का भुगतान हो तभी आर टी इ का लक्ष्य पूर्ण हो सकेगा और गरीब बच्चों के अधिकारों पर खुलेआम डकैती रुक सकेगी।
जगदीश चन्द्र सक्सेना प्रदेशाध्यक्ष बेसिक शिक्षा समिति उत्तर प्रदेश मोबाइल – 9219196917
रिपोर्टर परशुराम वर्मा