4 मार्च को वीमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) की शुरुआत के साथ ही महिला क्रिकेट के नए युग का आगाज हुआ। यह लीग महिला क्रिकेट और उसके बिजनेस को बदल देगी। इसकी शुरुआत हो चुकी है। आईपीएल के पहले सीजन में 8 टीमों को 300-400 करोड़ रुपए में खरीदा था, डब्ल्यूपीएल में पांच टीमों को खरीदने का आंकड़ा 4 हजार 669 करोड़ था।
डब्ल्यूपीएल के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स को बीसीसीआई ने 951 करोड़ में बेचा। राइट्स खरीदने वाली कंपनी के सीईओ अनिल जयराज कहते हैं, ‘इसे बिजनेस इकोसिस्टम के साथ मिलाकर सबसे बड़ी महिला लीग बनाया जा सकता है।’
इस साल लीग के लिए ब्रॉडकास्टर्स ने 10 कंपनियों के साथ स्पॉन्सरशिप डील की है। रिपोर्ट्स के अनुसार, टीमें स्पॉन्सरशिप के जरिए 15-20 करोड़ की कमाई करेंगी। ब्रॉडकास्टर्स द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि लीग को फैंस के साथ अन्य लोगों तक भी पहुंचाया जाए। इसलिए 70 करोड़ इंटरनेट यूजर ऑनलाइन फ्री स्ट्रीम कर सकते है।
टीम मालिकों को पता है कि वीमेंस लीग से शुरुआती सालों में मुनाफा नहीं कमाया जा सकता, लेकिन वे इस लीग के साथ भविष्य के लिए बने रहना चाहते हैं। दिल्ली कैपिटल्स के मालिक धीरज मल्होत्रा का मानना है कि शुरुआती 10 सालों में उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
वे मुनाफा कमाने की स्थिति में केवल 5-10 साल के बाद ही पहुंच पाएंगे। साल 2008 में शुरू हुए आईपीएल को मुनाफा कमाने में 10 साल का समय लगा था। मुंबई इंडियंस की पुरुष टीम को स्पॉन्सर करने वाली कुछ कंपनियों ने महिला टीम को भी स्पॉन्सर किया है।
भले ही टीमों को मुनाफा कमाने में समय लगता है, लेकिन इस दौरान इन टीम की मार्केट वैल्यू में लगातार इजाफा होता रहता है। सीएसके, इंडियंस और केकेआर की मार्केट वैल्यू 8 हजार करोड़ है। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के उपाध्यक्ष राजेश मेनन का मानना है कि आने वाले 10-15 साल में वीमेंस प्रीमियर लीग अगर पुरुष क्रिकेट का 50% भी पहुंच पाती है तो ये हमारे लिए बिजनेस के लिहाज से बड़ी सफलता होगी।
मीडिया कंपनी ईएसपीएन की मेलिंडा फर्रेल का मानना है कि ये लीग महिला क्रिकेट के इतिहास में खेल को बदलने वाला टूर्नामेंट साबित हाे सकती है। इंग्लैंड की द हंड्रेड शुरू होने से पहले इंग्लैंड 6.90 प्रति ओवर की रफ्तार से रन बनाती थी।
लीग शुरू होने के बाद इसमें लगभग एक रन प्रति ओवर का उछाल आया। इसी तरह महिला बिग बैश लीग ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को कई नए सितारे दिए। ग्रेस हैरिस इनमें से एक हैं। उन्हें बिग बैश के जरिए ही ऑस्ट्रेलिया की नेशनल टीम से खेलने का मौका मिला था।