शाहगंज(जौनपुर) : पुलिस और उसके आला अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति कितने लापरवाह हैं, इसकी बानगी ग्राम न्यायालय द्वारा क्षेत्राधिकारी और प्रभारी निरीक्षक कोतवाली को जारी नोटिस से मिलती है। नोटिस में न्यायाधिकारी दिनेश कुमार दिवाकर ने सीओ और कोतवाल को कानून का पाठ पढ़ाया और बगैर तहरीर की मूल प्रति के ही आरोप पत्र दाखिल करने पर जमकर फटकार लगाई है। न्यायाधिकारी ने दोनों अधिकारियों से 17 जनवरी को न्यायालय में स्वयं उपस्थित होकर जवाब दाखिल करने को कहा है।
जानकारी के मुताबिक शाहगंज कोतवाली में दर्ज मारपीट के एक मामले में कोतवाली पुलिस द्वारा दाखिल किए गए आरोप पत्र में घटना की मूल तहरीर संलग्न नहीं की। इसके अलावा आरोप पत्र प्रस्तुत करने में भी देरी हुई थी। विडंबना ये भी रही कि आरोप पत्र को दोनों अधिकारियों ने अपने हस्ताक्षर फॉरवर्ड किया था।
न्यायाधिकारी ने जारी नोटिस में कहा कि अधिकारियों द्वारा अग्रसारित आरोप पत्र में तहरीर का सलंग्न नहीं होना दर्शाता है कि ऐसे जरूरी कामों में भी पुलिस का रवैया लापरवाही भरा है। उन्होंने कहा कि इससे लगता है कि दोनों अधिकारियों द्वारा न्यायालय में दस्तावेज भेजने से पहले उसे जांचा परखा नहीं जाता और गंभीरता नहीं बरती जाती। न्यायाधिकारी ने कहा कि सुनवाई के दौरान तहरीर नहीं होने से गवाहों का बयान दर्ज हो पाना मुमकिन नहीं होता। उन्होंने कहा कि अग्रसारित करने का उद्देश्य सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि उसमें व्याप्त गलतियों को दुरुस्त करने का भी होता है।
न्यायाधिकारी ने नोटिस में दोनों अधिकारियों को 17 जनवरी को स्पष्टीकरण के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया है। अधिकारियों को जवाब देना है कि उनकी लापरवाही के बदले क्यों न उन पर संबंधित धाराओं में दंडात्मक कार्रवाई की जाए? न्यायाधिकारी ने जोड़ा कि अनुपस्थित रहने पर आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को निर्देशित जाएगा।