फर्रुखाबाद : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की मेहनत रंग लाई अस्मिता को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से मिली निजात

फर्रुखाबाद, 25 दिसंबर 2022 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 19 वर्ष तक के बच्चों की 47 बीमारियों का मुफ्त इलाज किया जाता है | न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट इनमें से एक है | जिले के ब्लॉक शमसाबाद के गावं असगरपुर में सौरभ गोस्वामी के घर जन्मी अस्मिता जन्म से ही न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट नामक बीमारी से पीड़ित थी| जिसका सफल आपरेशन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सैफई मेडिकल कालेज में किया गया अब बच्ची स्वस्थ है |
इस बारे में अस्मिता के पिता सौरभ ने बताया कि मैं खेती बाड़ी करके किसी प्रकार अपने परिवार का पालन पोषण करता हूँ | मेरे एक 5 वर्ष का बेटा है| डेढ़ वर्ष पहले 26 जुलाई 2021 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरौन में मैंने अपनी पत्नी का प्रसव कराया तो मुझे पता चला कि मेरे घर बेटी का जन्म हुआ, हम बहुत खुश थे |चलो परिवार पूरा हो गया पर पता नहीं मेरे घर को किसकी नजर लग गई | जब पता चला की बेटी के पीठ में गाँठ है मानो ख़ुशी कोसों दूर चली गई| अब एक चिंता लगी रहती कि बच्ची का इलाज कैसे होगा मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं कि उसका निजी चिकित्सालय में आपरेशन करा सकूँ | मैंने उसको आगरा के एक निजी चिकित्सालय में दिखाया तो वहां मुझे लगभग 3 लाख रुपए का खर्च बताया, जो मेरे वश में नहीं था l
सौरभ ने कहा एक दिन शमसाबाद अस्पताल से डॉक्टर कल्पना कटियार, स्टाफ़ नर्स रिया सिंह छोटे बच्चों को देखने आईं| तो उनको अस्मिता को दिखाया उन्होंने कहा कि इसका आपरेशन होगा | अब मैंने कहा मेरे पास तो पैसे हैं नहीं उन्होंने मुझे बताया कि तुम्हारी बेटी का इलाज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत हो जायेगा| यह सुनकर मेरे चेहरे पर चमक आ गई मैं अस्मिता को लेकर डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय गया वहाँ पर डाक्टर ने देखने के बाद उसको सैफई मेडिकल कालेज भेज दिया |जहां पर 15 मार्च 2022 को मेरी बेटी का आपरेशन हो गया अब वह स्वस्थ है |
मैं डॉ कल्पना कटियार, स्टाफ़ नर्स रिया सिंह और डीईआईसी मैनेजर अमित शाक्य और सैफई मेडिकल कालेज के डॉक्टर जिन्होंने मेरी बेटी का आपरेशन किया उनका दिल से धन्यवाद देता हूँ जिनकी वजह से आज मेरी बेटी सही हो पाई है |
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और आरबीएसके के नोडल डॉ दलवीर सिंह ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में अब तक जिले में योजना के तहत 7 कटे-फटे होंठ वाले बच्चों का, 3 जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित बच्चों का, 25 टेढ़े मेढे पैर वाले बच्चों का, 3 न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट और 8 तालू कटे हुए बच्चों का इलाज करवाया गया है।
उन्होंने बताया कि भ्रूण के मस्तिष्क, रीढ़ या रीढ़ की हड्डी से जुड़े जन्म दोषों को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट कहा जाता है। इसमें भ्रूण का कोई एक अंग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता और जन्म के समय भी अविकसित ही रहता है। दरअसल, भ्रूण के विकास के शुरुआती दिनों में कुछ सेल्स मिलकर एक ट्यूब का निर्माण करते हैं। इसे न्यूरल ट्यूब कहते हैं। इस ट्यूब का आगे का भाग धीरे-धीरे मस्तिष्क का रूप लेता है और शेष रीढ़ की हड्डी का निर्माण करता है। जब न्यूरल ट्यूब पूरी तरह बंद या विकसित नहीं हो पाती है तो स्पाइनल कॉलम में छेद रह जाता है। इसी समस्या को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट कहते हैं। ऐसा अक्सर गर्भावस्था के पहले महीने में होता है जब महिला को अपने गर्भवती होने का एहसास तक नहीं होता है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डी ई आई सी मैनेजर अमित शाक्य ने बताया कि योजना के तहत 47 चयनित बीमारियों में 19 वर्ष तक के बच्चों का नि:शुल्क इलाज करवाया जाता है।