लखनऊ के छात्र ने तीन पन्ने का दर्द बयां करके फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया

लखनऊ में 21 साल के छात्र जयदीप यादव ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। कमरे से 3 पेज का सुसाइड नोट मिला है। इसमें उसने जवाहरलाल नेहरू युवा कौशल केंद्र के ट्रेनर और सीनियर्स पर प्रताड़ित करने की बात लिखी है। मृतक के पिता संत कुमार यादव ने सुसाइड नोट के आधार पर बुधवार को जवाहरलाल नेहरू युवा कौशल केंद्र के ट्रेनर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। मामला मंगलवार रात का इंदिरा नगर थाना क्षेत्र की शिवपुरी कॉलोनी का है।
सुसाइड नोट में उसने बताया कि कई दिनों से मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया जा रहा था। सीनियर कुछ नहीं करते, बजाय मुझे पागल बनाने की कोशिश करते हैं। मूर्ख कहते हैं। कमरे में बंद कर लड़कों ने मारा-पीटा। गालियां दी। बोले- तुम यहां से चल कर जाने लायक नहीं रहोगे। पागल-खाने भेजने की धमकी दी। जेल भेजने की धमकी दी।
ऊं नम: शिवाय… मैं अपने पूरे होशो हवास में अपनी बात लिख रहा हूं कि पिछले कई दिनों से मुझे मानसिक रूप से परेशान किया जाता है। वहां के सीनियर कुछ नहीं करते, मुझे पागल बनाने की कोशिश की जाती है। मुझे बेवकूफ मूर्ख भी कहा जाता है। उस दिन मुझे पहले कुछ बुरे और नशेड़ी, गंजेड़ी, शराबी लड़कों ने बिना बात के ही मारना-पीटना शुरू कर दिया। जब मैंने अपने बचाव में उनसे लड़ने लगा तभी टाइम सेंटर के स्टाफ और हेड ने मिलकर मुझे एक रूम में बंद कर दिया। मुझे डराने-धमकाने लगे। मुझे मारने की धमकी देने लगे और कहने लगे कि तुम यहां से चलकर नहीं जा पाओगे। मुझे पागल साबित कर पागलखाना भेजने की धमकी दे रहे थे। जेल भेजने की धमकी दे रहे थे।
टीचर भी कुछ नहीं कहते। उनके साथ खाते-पीते और घूमते थे। वही लड़के उन्हें अच्छे लगते थे। उनके सामने गलत हो रहा तो भी वो देख कर कुछ नहीं कहते। गंदी गंदी गालियां देते थे। कुत्ता-कमीना कह के जलील करते थे। वह हर बात पर सिर्फ हंसते थे और मजा लेते थे। हां, मुझे वह अच्छे लगते हैं और मैं उनकी इज्जत करता था, लेकिन उन्हें मेरी कोई परवाह नहीं थी। मुझे लगता था कि यह कैसा टीचर है जो क्लास में बैठे हैं, वह गलत और जिनके साथ घूम टहल रहे हैं वे सही हैं। उनकी नजरों में केवल वही सही चाहे कुछ भी हो और उनका नाम मेरे प्यारे मिस्टर राजेंद्र सिंह ठाकुर जी है जो मेरे सर जी हैं।
जो मुझे पहली नजर में बहुत अच्छे लगे और उनके दिल में मेरे लिए बहुत ज्यादा इज्जत थी। लेकिन, वह शायद मुझे समझ नहीं सके और हमेशा उनके लिए गलत बना रहा। कभी उनके सामने सही नहीं बन सका। चेहरे, सिर, गर्दन और कान पर मुझे तेज से मारा करते थे। मुझे बहुत दर्द होता था। मेरी खोपड़ी फटती थी। मैं तो सब से दोस्ती करना चाहता था और करता भी था। मेरा विश्वास लड़ाई-झगड़ा, गाली गलौज में नहीं था। लेकिन, उन्होंने मुझे बहुत परेशान और विवश कर रखा था।मेरी मृत्यु का सबसे बड़ा कारण मेरे प्यारे मिस्टर राजेंद्र सिंह ठाकुर जी और सेंटर हेड नीरज पटेल हैं। वह सेंटर हेड हैं तो क्या कुछ भी करेंगे। मेरा निवेदन है कि प्लीज मेरे शरीर को चीरा-फाड़ा न जाए। यही मेरी अंतिम इच्छा है। बाकी आप लोगों की मर्जी।
भाई प्रदीप यादव ने पुलिस पर मुकदमा ना लिखने का आरोप भी लगाया है। आरोप है कि मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद पुलिस ने बुधवार देर रात मुकदमा दर्ज किया है। इंस्पेक्टर इंदिरानगर छत्रपाल सिंह का कहना है कि पिता की तहरीर पर ट्रेनर राजेंद्र सिंह ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच और सुसाइड नोट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।