पीलीभीत:गांधी सभागार में राष्ट्रीय प्रेस दिवस का किया गया आयोजन।

पीलीभीत: अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) सूरज यादव एवं नगर मजिस्ट्रेट डॉ0 राजेश कुमार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस गांधी सभागार में मनाया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका का योगदान प्राचीन काल से है और इतिहास बहुत गहरा है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष से समाचार पत्रों का अटूट सम्बन्ध रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में समाचार पत्र भारतीयो की राष्ट्रीय भावना को सामने लाने के उत्प्रेरक थे और भारत में स्वतंत्रता संघर्ष के विभिन्न चरणों के दौरान महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, राजा राम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेन्ट जैसे प्रख्यात राष्ट्रीय नेताओं ने स्वतंत्र राष्ट्र ‘एक स्वतंत्र भारत’ के अपने मत एवं विचारों का प्रचार करने के लिए समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पहले भारतीय प्रेस ने भारत में राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने और सामजिक तथा धार्मिक सुधार लाने की सम्भावनाओं का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक तक केवल प्रसार भारती अपने दूरदर्शन चैनल के माध्यम से टेलीविजन समाचार प्रसारित कर सकता था। संचार क्षेत्र के निजीकरण के बाद मीडिया का सही अर्थो में विस्तार हुआ, सूचना और ज्ञान को आसानी से सुलभ बनाकर जनता की आवश्यकता को पूर्ण करने के प्रति मीडिया की ईमानदारी से उसे जनता को अपार विश्वास मिला। उन्होंने कहा कि देश में जनता को शिक्षित और जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवम्बर भारत में स्वतंत्र एवं जिम्मेदार प्रेस का प्रतीक है। भारतीय प्रेस परिषद ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक नैतिक प्रहरी के रूप में कार्य करना आरम्भ किया। 1956 में प्रेस परिषद की स्थापना की सिफारिश करते हुए प्रथम प्रेस आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि पत्रकारिता में वृत्तिक नीति को बनाये रखने का सबसे अच्छा तरीका यही होगा कि ऐसे लोग, जिनका कर्त्तव्य मूल रूप से मध्यस्थता करना हो, के एक ऐसे निकाय, जिससे पास सांविधिक प्राधिकार हो, को अस्तित्व में लाया जाए। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से मीडिया वृत्तिकों का काम एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाने के लिए भारतीय प्रेस परिषद द्वारा भारतीय मीडिया को चौथा स्तम्भ कहा जाता है। इस दौरान प्रिन्ट/इलैक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार बन्धुओं द्वारा अपने अपने विचारों का साझा किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन मंसूर अहमद शम्सी द्वारा किया गया।