फर्रुखाबाद ,11 नवम्बर 2022 फेफड़ों में सूजन या पानी भर जाने की स्थिति को निमोनिया कहते हैं। पर जब दोनों फेफड़ों में निमोनिया हो जाता है, तो
इसे डबल निमोनिया कहा जाता है। यह एक गंभीर संक्रमण है, जो घातक हो सकता है। डबल निमोनिया के लक्षण
निमोनिया से अलग नहीं हैं। इस स्थिति में मरीज को सांस लेने में बेहद मुश्किल हो सकती है। इसलिए निमोनिया का कोई
भी संकेत नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि समय पर सही इलाज न कराने पर यह गंभीर रूप
भी ले सकती है। समुदाय में जागरूकता के लिए ही हर साल 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रभात वर्मा का कहना है कि फेफड़े के संक्रमण की वजह से तो निमोनिया हो ही सकती है,
कुछ अन्य कारण भी हैं जिनसे यह हो सकती है, जैसे -केमिकल निमोनिया, एस्परेशन निमोनिया, ऑबस्ट्रक्टिव निमोनिया। बैक्टीरिया (न्यूमोकोकस, हिमोफिलस, लेजियोनेला, मायकोप्लाज्मा, क्लेमाइडिया, स्यूडोमोनास) के अलावा कई वायरस (इन्फ्लूएन्जा, स्वाइन फ्लू एवं कोरोना), फंगस एवं परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया हो सकती है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों में होने वाली मौतों में निमोनिया प्रमुख कारण है। इस दिशा में सरकार ने निमोनिया से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण में पीसीवी टीके को शामिल किया है। यह टीका निमोनिया से बचाव में काफ़ी असरदार है। इसलिये अपने बच्चों को टीकाकरण अवश्य करवायें
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2019 में निमोनिया से 25 लाख लोगों की मृत्यु हुई। सभी पीड़ितों में से लगभग
एक तिहाई पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे, यह पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। हर 43 सेकेंड में
निमोनिया से एक बच्चे की मौत हो जाती है। प्रतिवर्ष निमोनिया से लगभग 45 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं, जो कि विश्व
की जनसंख्या का सात प्रतिशत है।
निमोनिया के प्रमुख लक्षण :
तेज बुखार, खांसी एवं बलगम (कई बार खून के छीटें भी हो सकते है), सीने में दर्द, सांस फूलना एवं कुछ मरीजों में दस्त, मतली और उल्टी, व्यवहार में परिवर्तन जैसे मतिभ्रम, चक्कर, भूख न लगना, जोड़ों और मांशपेशियों में दर्द, सर्दी लगकर शरीर ठंडा पड़ जाना, सिरदर्द, चमड़ी का नीला पड़ना आदि।
प्रमुख इलाज :
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व आईएमए-एएमएस के नेशनल वाइस चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि सबसे ज्यादा होने वाली निमोनिया यानि बैक्टीरियल निमोनिया का मुख्य इलाज है- एंटीबायोटिक्स जो कि बीमारी का कारण बने हुए जीवाणु पर कार्य करता है। अधिकतर मरीज ओपीडी द्वारा इलाज करा सकते हैं, लेकिन यदि यह बीमारी किसी अन्य बीमारी के साथ जुड़ी हुई है, 65 वर्ष के ऊपर की उम्र के व्यक्ति को हुई है या रोगी गम्भीर रूप से बीमार है, तो अक्सर अस्पताल में भर्ती करके इलाज कराना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त तरल पदार्थ का सेवन, आक्सीजन (अगर सांस तेज फूल रही है), नेबुलाइजेशन अन्य उपाय हैं। कोविड निमोनिया की तीव्रता नापने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर से आक्सीजन का स्तर नापना एक सरल उपाय है। यदि इसकी रीडिंग 94 से कम है तो गम्भीर तथा 90 से कम है तो अति गम्भीर निमोनिया को दर्शाती है।