पूरनपुर : पूर्वांचल के लोगों का मुख्य पर्व छठ महापर्व माना जाता है।मान्यता के अनुसार यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है।जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती है।उनी छठी माता उनकी हर मनोकामनाएं पूरी करती है।छठ पूजा में सूर्य का पूजन किया जाता है।शनिवार को पूजा का दूसरा दिन जिसे खरना कहा जाता है।खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण,इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है।पूर्वांचल की महिलाएं अपना व्रत रखकर पति व पुत्र की लंबी आयु की कामना करती हैं।महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। घुंघचाई क्षेत्र के हरदोई ब्रांच नहर के पार बडी तादाद में पूर्वांचल के लोग रहते हैं।जो छठ पूजा को लेकर कई दिनों से हरदोई ब्रांच नेहरू पर स्थित घाटों की साफ-सफाई करने में जुटे रहे।खरना के दिन गुड़ की खीर बनती है। इसके बाद सबसे पहले व्रत धारण महिलाएं इसे प्रसाद वनाती हैं।उसके बाद उसे बांटा जाता है।इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इसके अगले दिन महिलाएं नदी और घाटों पर पहुंचती है।डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है।इस दौरान महिलाएं छठी मैया के गीत गाती हैं।