शाहगंज(जौनपुर)
नगर की रामलीला, दशहरा, भरत-मिलाप के क्रम में सीता श्रृंगार हाट के नाम से लगने वाले चूड़ी मेला भी ऐतिहासिक है। जिसकी तैयारियां बुधवार से शुरू हो गई। शुक्रवार से मेला अपने चरम पर होगा। जिसके लिए अपनी ससुराल से बेटियों का मायके आना शुरू हो चुका है।
158 वर्ष से निर्बाध लगने वाले ऐतिहासिक मेले की मान्यता है कि लंका पर विजय कर रावण वध के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, मां जानकी अयोध्या पहुंचे तो माँ सीता ने गेरुआ चोला छोड़ कर अयोध्या के श्रृंगार हाट से श्रृंगार सामाग्री की खरीदारी की थी। उसी की तर्ज पर नगर के अलीगंज मोहल्ले में चूड़ी का मेला लगाया जाता है। जिसके चलते मोहल्ले का नाम ही चूड़ी मोहल्ला के नाम से विख्यात है। मेले में वाराणसी, आजमगढ़, सुल्तानपुर, जौनपुर के नामी-गिरामी दुकानदार पहुंचकर अपनी दुकान लगाते हैं।
मेले में श्रृंगार सामाग्री से लेकर चूड़ियां, कंगन, जूते, चप्पल, बच्चों के खिलौने, झूले के अलावा चाट पकौड़े की दुकानें सजती हैं। खास बात तो ये है कि सप्ताहभर चलने वाले मेले में पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता है। इस ऐतिहासिक मेले में पहुंचने के लिए दूर दराज ब्याही बेटियों को बेसब्री से इन्तजार रहता है। जो दशहरा और भरत-मिलाप संपन्न होते ही मेला देखने, जमकर खरीदारी करने और सहेलियों से मिलने के लिए मायके आने की तैयारी में जुट जाती हैं। मेले में हिंदू-मुस्लिम सभी महिलाओं की बराबर की भागीदारी गंगा-जमुनी संस्कृति की अपने आप में एक अनोखी मिसाल कायम करती है।