पीलीभीत :जिलाधिकारी द्वारा मशरूम की खेती का ग्राम मचवाखेडा में पहुंचकर कर किया गया स्थलीय निरीक्षण।

पीलीभीत जिलाधिकारी पुलकित खरे द्वारा कृषि उत्पादक संगठन के अन्तर्गत मशरूम खेती का आज ग्राम मचवाखेडा में पहुॅचकर स्थलीय भ्रमण कर जायजा लिया गया। जिलाधिकारी को कृषक महेन्द्र गंगवार द्वारा बताया गया कि मशरूम की खेती करने हेतु सर्वप्रथम दो माह पुराना भूसे को गीलाकर 40 प्रतिशत तापमान पर पोलोथीन में भूसा रखा 40 प्रतिशत नमी होने पर मशरूम के बीज डाल दिये जाते है। कृषक द्वारा बताया गया कि 01 कुन्तल भूसा में 10 कि0ग्रा0 मशरूम के बीजों को बोया जाता है और 02 वर्ष पुरानी गोबर की खाद भी प्रयोग में लाई जाती है। भूसे में गोबर की खाद 20 दिन बाद डाली जाती है और प्रतिदिन थोडा थोडा पानी दिया जाता है जिससे की नमी बनी रहे। जिससे मशरूम तैयार की जाती है। कृषक द्वारा मिल्की मशरूम की खेती जा रही है। इसके साथ ही साथ कृषक द्वारा बताया सीजन के अनुसार अन्य मशरूमों की खेती जाती है। कृषक द्वारा मशरूम के बीज का उत्पादन का भी उत्पादन किया जा रह है। कृषक द्वारा बताया गया कि भारत में मिल्की मशरूम, वटन, वोस्टर मशरूम लोग ज्यादा पसन्द करते हैं। कृषक द्वारा बताया गया कि मशरूम के बीज जनपद, अन्य जनपदों व उत्तराखण्ड के कृषक भी बीज यहां से प्राप्त करते है। कृषक द्वारा बताया गया कि वटन/वोस्टर मशरूम 01 कि0ग्रा0 रू0 100 व मिल्की मशरूम रू0 200 किलो के भाव से बिक्री की जाती है तथा मशरूम के पाउण्डर का प्रयोग बच्चों को पुष्टाहार के साथ दिया जाता है। कृषक द्वारा बताया गया कि 30 फुट लम्बाई व 30 फुट चौडी जगह में 18 कु0 भूसा में 180 कि0ग्रा0 बीज डाला जायेगाये जिसमें कृषक 1.50 लाख रू0 की मशरूम का उत्पादन कर सकते है।
इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा कृषक को बताया गया कि मशरूम की बिक्री हेतु हम इसे आचार, पाउण्डर अन्य रूप में तैयार कर बिक्री करे जिससे की किसानों की आय में वृद्वि हो सकेगी। जिलाधिकारी बताया गया कि जनपद की सदर तहसील में ऑर्गेनिक हब खोला गया है जिसमे कृषक अपनी दाल, आटा, मशरूम, देशी घी सहित अन्य विभिन्न प्रकार की खाद्य पदार्थो को रख सकते है। उक्त के माध्यम से कृषक अपने उत्पाद को सीधे ग्राहक को बिक्री कर सकते है जिससे कृषक संगठनों को लाभ मिलेगा।
इस दौरान उप जिलाधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी सहित अन्य अधिकारी व कृषक बन्धु उपस्थित रहे।