इसकी शुरुआत वर्ष 1380 मे तब हुई थी जब गुरादा बाद मे हिन्दू मुस्लिम दंगो हुआ और धीरे धीरे पूरा प्रदेश इसकी चपेट में आने लगा। उस समय श्री राम लीला परिषद फतेहगढ़ के अध्यक्ष स्व० चे. राम कृपाल मिश्र ने मोहत्य की पाँच वारीख का ताजिया उठा कर ले पूरे प्रदेश एवं देश में हिन्दू मुस्लिम एकता, गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल पेल पेश की थी। यह परम्परा 42 वर्षों से वरावर कायम है। श्रीराम लीला परिषद फतेहगढ़ हर वर्ष ताजिया उठा कर पूरे देश को अनेकता में एकता का सन्देश देती है। मुख्य मन्त्री स्व० विश्वनाथ प्रतापसिंह ने इस कार्य की सराहना करते हुये कहा था कि फतेहगढ़ तत्कालीन
के हिन्दू एवं मुस्लिमों से प्रदेश की जनता को सबक लेना चाहिये।
मुसलमान ऐसा भी नहीं है कि केवल हिन्दू ही ताजिया उठाते है भाई भी थी राम लीला के सूचन में, भी राम वारात में शामिल होते है भगवान प्रभु भीराम के टीका लगा आरती उतारते हैं माला पहनाते है। कई मुस्लिम भाई श्री प्यारे भाई, अल्लादीन पप्पन त्रिया आदि श्री रामलीला परिषद कटेहाद के पदाधिकारी भी है। श्री श्री नरायन
लिवेदी रवीश द्विवेदी सुन्ना लाल वार्ष्णेय
रामजी चतुर्वेदी अजीत मि अभिषेक यादव नसीय अहमद अतुल मिश्रा श्याम बिहारी दीसित नदीम अहमद
पकज अग्रवाल चमन रविन्द्र कुमार वश्य
आफताब स्वाँ मो० जकी मो० साजिद स.एजाज अली सोन गारमेन्ट स होजी मैरर राशिद अली