फर्रुखाबाद 30 जुलाई 2022 नवजात के लिए स्तनपान बहुत लाभकारी है। मां के दूध को अमृत के बराबर माना गया है। जन्म के तुरंत बाद शिशुओं को स्तनपान कराने से कई गंभीर बीमारियों से तो बचाया ही जा सकता है साथ ही इससे उसका बेहतर विकास भी संभव है। स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य हर वर्ष 1 से 7 अगस्त विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता हैl यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) भारत प्रसाद काl
डीपीओ ने बताया कि बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्तनपान की जिम्मेदारी मां व परिजन की होती है। बच्चे और उसकी मां की देखभाल करना हर पिता का कर्तव्य है। स्तनपान से जहां बच्चे को अमृत मिलता है वहीं उसकी मां को बेहतर स्वस्थ्य लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि इस बार के स्तनपान सप्ताह की थीम स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं रखी गई है। इस सप्ताह का उद्देश्य प्रसूता एवं धात्री महिलाओं के बीच स्तनपान के लिए जागरूकता बढ़ाना है।
इस सम्बंध में डीपीओ ने सभी ब्लॉक के सीडीपीओ और आंगनबाड़ी कार्यकत्री को निर्देश देते हुए कहा कि गृह भ्रमण के दौरान गर्भवती और धात्री महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करती रहें l
डीपीओ ने कहा कि जब बच्चा मां गर्भ में आता है उसी समय से हमको बच्चे की होने वाली माता को उसके स्वास्थ्य के लिए पोषाहार क्यों आवश्यक है यह जानकारी देंगे उसके साथ ही माता को स्तनपान के लिए भी जागरूक करें कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां का दूध क्यों आवश्यक है l
डीपीओ ने बताया कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात शिशुओं में मृत्यु की संभावना लगभग 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया जैसी संक्रमण से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित ढंग से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर उसमें गैर संचारी (एनसीडी) बीमारियों के होने की भी संभावना बहुत कम होती है। इसके साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी नहीं के बराबर होता है l
डीपीओ ने बताया कि जिले में इस समय 0से6 माह तक के कुल 17408 बच्चे हैं इनकी माताओं को सिर्फ स्तनपान के लिए जागरूक किया जायेगा l
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019 21) के अनुसार जिले में 6 माह से कम उम्र के 58.6% बच्चे ऐसे हैं जिनको सिर्फ मां का दूध पीने को मिलता है वहीं यह दर एनएफएचएस 4( 2015 16) में 56.4%थी तो जागरूकता की वजह से जिले में स्तनपान को बढ़ावा मिला है l वहीं एनएफएचएस 4 के अनुसार जिले में 3वर्ष से कम उम्र के बच्चे जिन्होंने एक घंटे के अंदर सिर्फ मां का दूध पिया की दर 22.1% थी जो एनएफएचएस 5 के सर्वे में 32.9%हो गई है यानि कहीं न कहीं अपने बच्चे को स्तनपान कराने के प्रति लोगों में जागरूकता बड़ी है l