जौनपुर: अशोक इंटर कॉलेज के प्रबंधक के समर्थन में आए हजारों लोग जौनपुर सदर के हरखपुर गांव में अशोक इंटर कॉलेज के नाम से इंटर कॉलेज वर्षों से संचालित होता है जिसमें आस पास के कई गावों से छात्र छात्राएं पढ़ते है।मौजूदा समय में इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं की संख्या लगभग एक हजार के आस पास है।कॉलेज परिसर में एक मंदिर है जिसके पुजारी से आए दिन मंदिर परिसर और कॉलेज को लेकर कॉलेज के प्रबंधक से वाद विवाद होता रहता है।अभी हाल ही इसी विवाद को लेकर उप जिलाधिकारी ने मंदिर परिसर का दौरा कर, आए दिन हो रहे विवाद को सुलझाने का प्रयास किया, मगर कोई उचित समाधान नहीं हो पाया।जब गहराई से पता किया गया तो कॉलेज के अध्यापकों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि मंदिर के पुजारी द्वारा आए दिन बच्चो कि पढ़ाई में बाधा उत्पन्न किया जाता है,जब बच्चो कि परीक्षाएं होती है तो अक्सर पुजारी द्वारा मंदिर पर कीर्तन और भजन का आयोजन कर दिया जाता है जिससे बच्चो में परीक्षा देते समय उनके एकाग्रता में बाधा उत्पन्न होती है।पुजारी के इसी आदतों की वजह से कालेज प्रशासन अपने एक दिन कि होने वाली परीक्षा का सेंटर लेने से कतराता है।कॉलेज परिसर में पुजारी ने गायो की गोशाला भी बना रखा है ,कभी कभी इंटरवल में गाये अपने खुटे से अलग हो जाती है जिससे छात्र छात्राओं में अफरा तफरी मच जाता है।लोगो ने बताया कि कॉलेज के आस पास कई प्राइवेट स्कूल है जिनकी नजर इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले लगभग एक हजार छात्र छत्राओ पर रहती जो चाहते हैं कि कॉलेज की पढ़ाई बाधित हो तो छात्र छात्राओं का एडमिशन उनके यहां हो जाए,इन्हीं लोगों के चमचे मंदिर के पुजारी को बच्चो कि पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करने के लिए उकसाते है।जब कॉलेज के प्रबंधक तेज बहादुर मौर्य से इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मंदिर से न तो उन्हें और न बच्चो को कोई आपत्ती है बशर्ते पुजारी द्वारा बच्चो कि पढ़ाई और परीक्षा के समय कोई बाधा उत्पन्न न किया जाय और कॉलेज परिसर में बधी गायो को किसी गौशाला में भेज दिया जाय।प्रबंधक के समर्थन में शाक्य मौर्य सभा के अध्यक्ष प्रेम चंद मौर्य और प्रियदर्शी अशोक मिशन के अध्यक्ष कमलाकांत मौर्य ने कहा कि शासन प्रशाशन को मंदिर और शिक्षा के मंदिर की गरिमा को ध्यान में रखकर ऐसे अराजक तत्वों पर उचित कार्रवाई करें,जिससे कॉलेज में पढ़ने वाले लगभग एक हजार छात्र छात्राओं की पढ़ाई में कोई बाधा उत्पन्न न हो।