फर्रुखाबाद : मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों को किया गया प्रशिक्षित,मातृ एवं शिशु मृत्युदर घटाने में स्किल बर्थ अटेंडेंट का प्रभावी योगदान-डॉ कैलाश दुल्हानी


फर्रुखाबाद: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने तथा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं | इसी क्रम में डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला के सभागार में शनिवार (12 फरवरी) से स्किल बर्थ अटेंडेंट प्रशिक्षण की शुरूआत की गई | 21 दिनों तक चलने वाले प्रशिक्षण शिविर में 28 स्वास्थ्य कर्मी शामिल हुए । इन स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देकर प्रसव कार्य में निपुण बनाया जाएगा। यह कहना है परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह का |

डॉ सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में हर ब्लाक से चार-चार स्टाफ को लिया गया है, जिसमें एएनएम व स्टाफ नर्स सहित कुल 28 स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
एसीएमओ ने प्रशिक्षु स्वास्थ्य कर्मियों से कहा कि सभी लोग प्रशिक्षण के बाद संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना सुनिश्चित करें ताकि जिले को संस्थागत प्रसव में अच्छी रैंकिंग हासिल हो सके।
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला के सीएमएस डॉ कैलाश दुल्हानी ने प्रशिक्षण के दौरान कहा कि शिशु मृत्युदर घटाने में स्किल बर्थ अटेंडेंट का प्रभावी योगदान रहता है |
डॉ दुल्हानी ने कहा कि नेशनल रूरल हेल्थ मिशन का मुख्य उद्देश्य बच्चों की मृत्यु दर को कम करना है। यह तभी संभव हो सकता है जब हर गर्भवती गर्भ के दौरान व डिलीवरी के दौरान स्किल बर्थ अटेंडेंट की सेवाएं ले ।
उन्होंने बताया कि अतिकुपोषित गर्भवती की पहचान उसकी हालत देखकर भी आसनी से की जा सकती है। आंख, हाथ, पैर के नाखून में पीलापन, त्वचा व जीभ के रंग से भी कमजोरी का पता लगाया जा सकता है।
प्रशिक्षण दे रहीं डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अर्चना कटारिया ने कहा कि अधिकतर महिलाएं एनीमिया की शिकार होती हैं। ऐसी महिलाओं की पहचान उनकी आंख, नाखून व त्वचा का रंग देखकर किया जा सकता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वह गर्भावस्था पूर्व देखभाल के दौरान ही प्रत्येक गर्भवती को पंचरंगी आहार लेने के लिए प्रेरित करें। लाल रंग आहार में टमाटर, चुकंदर, पीले में संतरा, पपीता, सफेद में दूध व अंडा, हरे में मटर समेत हरी सब्जियां, काले में जामुन व खजूर का सेवन किया जाए तो कोई भी गर्भवती कुपोषण का शिकार नहीं रहेगी।
जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता अतुल गुप्ता ने बताया कि पांच दिन तक थ्योरी क्लास चलेगी शेष 16 दिन महिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों, मास्टर ट्रेनर और स्टाफ नर्स द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा |

इस दौरान उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई से नर्स मेंटर कंचन राजपूत, सिस्टर राधा कटियार सहित अन्य लोग मौजूद रहे |