फर्रुखाबाद: यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता दिवस (12 फरवरी) पर विशेष यौन रोग होने पर न करें संकोच, चिकित्सक से परामर्श लें – डॉ सिंह


फर्रुखाबाद: यौन संचारित संक्रमण प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है । इसीलिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता दिवस प्रतिवर्ष 12 फरवरी को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दों तथा यौन संचारित संक्रमण के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह कहना है परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह का |
डॉ सिंह ने बताया कि अगर आप यौन संक्रमण से ग्रसित हैं तो इसको नजरअंदाज न करें और अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर समस्या का समाधान प्राप्त करें | जिले में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ -साथ डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय पुरुष और महिला में साथिया केंद्र खुले हुए हैं, जहां पर तैनात किशोर स्वास्थ्य समन्वयक किशोर किशोरियों को उनके शारीरिक बदलाव और उनमें होने वाले यौन संक्रमण और प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करते हैं |
डॉ सिंह ने कहा कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता दिवस पर जिले में खुले साथिया केन्द्रों पर किशोर किशोरियों को यौन संक्रमण और प्रजनन सम्बन्धी जानकारी दी जाएगी |
नगरीय स्वास्थ्य केंद्र रकाबगंज पर तैनात स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ शोभा सक्सेना का कहना है आज भी ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिनके लिए मासिक धर्म केवल एक सामान्य प्रक्रिया नहीं बल्कि एक कष्टप्रद प्रक्रिया है क्योंकि सुविधाओं की कमी और संसाधन का अभाव होने के कारण माहवारी अनेक समस्याओं को जन्म देती है।
डॉ सक्सेना बताती हैं कि पीरियड्स के समय गंदा कपड़ा इस्तेमाल करने और सेनेटरी पैड या कपड़ा निश्चित अंतराल के बाद न बदलने के कारण लड़कियों को अनेक तरह के इंफेक्शन हो जाते हैं। जैसे – फंगल इंफेक्शन, बैक्टीरियल इंफेक्शन, सफेद पानी का बढ़ जाना, खुजलाहट बढ़ जाना, आदि। समस्या अगर गंभीर हो जाए तो योनि के आसपास की त्वचा का रंग लाल पड़ जाता है और वह सूज जाती है, जिनमें घाव होने का खतरा भी होता है। कई केसों में पीरियड्स के समय हुई साफ-सफाई की अनदेखी के कारण प्रजनन मार्ग तक समस्या पहुंच जाती है जिससे फैलोपियन ट्यूब तक को क्षति पहुंच सकती है।
डॉ शोभा बताती हैं कि जब यह इंफेक्शन योनि से युरिनरी ट्रैक्ट की ओर बढ़ते हैं, तब यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है। यूटीआई होने का एकमात्र कारण पीरियड्स ही नहीं है बल्कि साफ शौचालयों का न मिलना और गंदे जगहों पर पेशाब या शौच करने से भी अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियां महिलाओं को घेर लेती हैं ।
डॉ शोभा बताती हैं कि लड़कियों को किशोरी होने की उम्र से ही पीरियड्स से जुड़ी बातों से अवगत कराना होगा ताकि वह घरेलू तौर-तरीकों और वर्षों से चली आ रही संकीर्ण सोच से लड़ सकें और अपनी सेहत के प्रति जागरूक हो सकें। साथ ही पीरियड्स होने पर समय-समय पर सेनेटरी पैड के भर जाने और गीला महसूस होते ही, उसे बदल देना चाहिए और कागज में अच्छे से लपेटकर डिस्पोज कर देना चाहिए।