पीलीभीत : उ o प्रo राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत एवं अन्य योजनाओं का प्रचार प्रसार बना भरोसा एवं आशा का प्रतीक

पीलीभीत : उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जवाहर भवन लखनऊ के अनुपालन में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा प्राप्त निर्देशों के क्रम में मा0 अभिनव तिवारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रचार प्रसार कराने के निर्देश दिये गये हैं। एक मुटठी आसमां लोक अदालत, समावेशी न्याय व्यवस्था, एक मुटठी आसमां थीम, गरीबों तथा समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गो के लिए भरोसा, दृढ निश्चय तथा आशा का प्रतीक है। विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त एवं समक्ष विधिक सेवाओं को प्रदान करने के लिये ताकि आर्थिक या किसी भी अन्य कारणों से कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित न रहे तथा लोक अदालत का आयोजन करने के लिये किया गया है, जिससे की न्यायिक प्रणाली समान अवसर पर आधार पर सबके लिये न्याय सुगम बना सके। लोक अदालत कानूनी विवादों की सुलह की भावना से, न्यायालय से बाहर समाधान करने का वैकल्पिक विवाद निष्पादन का अभिनव तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है, जहां आपकी समझ बुस से विवादों का समाधान किया जाता है। लोक अदालत सरल एवं अनौपचारिक प्रक्रिया को अपनानती है तथा विवादों का अविलम्ब निपटारा करती है। इसमें पक्षकारों को कोई शुल्क भी नही लगता है। लोक अदालत से न्यायालय में लम्बित मामले का निष्पादन होने पर, पहले से भुगतान किये गये अदालती शुल्क को भी वापस कर दिया जाता है। लोक अदालत का आदेश/फैसला अंतिम होता है जिसके खिलाफ अपील नही की जा सकती। लोक अदालत से मामले के निपटार के बाद दोनो प़क्ष विजेता रहते है तथा उनमें निर्णय से पूर्ण संतुष्टि की भावना रहती है, इसमें कोई भी पक्ष जीतता या हारता नहीं है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने जन जन के दर तक न्याय की इस तीव्रतर प्रणाली को पहंचाया है और अदालतों को बोझ बडे पैमाने पर घटाया है। 2021 में आयोजित की गई राष्ट्रीय लोक अदालतो में एक करोड पचीस लाघ से ज्यादा मामलों का निपटारा किया गया है। झॉकी का अग्र भाग ‘‘न्याय सबके लिए’’ को बिम्बित करता है जो कि भयमुक्तता, भरोसा तथा सुरक्षा का धोतक है। झॉकी के पृष्ट भाग में एक हाथ की पांचों उंगलियां खुलती हुई दिखाई पडती है, जो लोक अदालत के पांच मार्ग दर्शक सिद्वान्तों को दर्शाती है। सब के लिए सुगम्यता, निश्चयात्मकता, सुलभता, न्यायसंगतता तथा शीघ्र न्याय।