फर्रुखाबाद :स्वर्ण प्रवास से बढ़ाएं बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता -डॉ. तेजपाल


फर्रुखाबाद : बच्चों का स्वर्ण प्रभा वाहस संस्कार करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि होती है। बच्चे कोरोना समेत कई संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं। बच्चों का शारिरिक और बौद्धिक विकास के साथ ही पाचन शक्ति और याददाश्त भी बढ़ती है। यह कहना है क्षेत्रीय आयुर्वैदिक एवं यूनानी चिकित्सा अधिकारी डॉ. तेजपाल का |
डॉ तेजपाल का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है । कोरोना की संभावित तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ने की बात पहले से कही जा रही है | ऐसे में बच्चों की इम्यूनिटी को मजबूत करना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद में बच्चों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वर्ण प्राशन को बेहद फायेदमंद बताया गया है।
डॉ तेजपाल का कहना है कि स्वर्ण प्राशन में बच्चों को स्वर्ण भस्म, शहद और घी के सम्मिश्रण को दिया जाता है। इसकी मात्रा बच्चों के शरीर की प्रकृति के आधार पर डॉक्टर तय करते हैं। इन तीनों चीजों को मिलाकर सूर्योदय होने पर बच्चे को इसे दिया जाता है। इसके बाद बच्चे को 6 घंटे तक कुछ भी खाने को नहीं दिया जाता है। स्वर्ण प्राशन के दौरान बच्चों को सात्विक भोजन करवाना चाहिए। इस दौरान तला-भुना, फास्ट फूड वर्जित है।
डॉ तेजपाल का कहना है कि पुष्य नक्षत्र के दिन स्वर्ण प्राशन करना सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। 28 दिन के बाद यह पुष्य नक्षत्र आता है, इस दिन बच्चों को स्वर्ण प्राशन जरूर करवाना चाहिए।

राजकीय आयुर्वैदिक चिकित्सालय फतेहगढ़ में तैनात प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ आदित्य किशोर का कहना है कि बचपन में स्वर्ण प्राशन करवाने से बच्चे निरोगी रहते हैं, जिससे उनकी आयु लंबी होती है। एक निरोगी व्यक्ति रोगी व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा समय तक जी सकता है।
बच्चे को सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार होने पर स्वर्ण प्राशन नहीं करवाना चाहिए। यह समस्याएं ठीक होने पर आसानी से स्वर्ण प्राशन करवाया या किया जा सकता है। अगर बच्चा किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो इसे डॉक्टर के परामर्श से दिया जा सकता है।
डॉ किशोर का कहना है कि स्वर्ण प्राशन 16 वर्ष तक के बच्चों को कराया जाता है |
डॉ किशोर का कहना है कि इस बार पुष्य नक्षत्र 18 जनवरी को पड़ रहा है इस दिन बच्चे को स्वर्ण प्राशन कराना चाहिए, स्वर्ण प्राशन खुद से न कराकर किसी आयुर्वैदिक चिकित्सक की देखरेख में ही कराना चाहिए |
डॉ किशोर का कहना है कि यह व्यवस्था सरकार द्वारा अभी आयुर्वैदिक चिकित्सालयों में लागू नहीं की गई है | इस संक्रमण के दौर में स्वर्ण प्राशन कराना बच्चों में रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करेगा | साथ ही सामाजिक संगठनों से अपील की कि वह अपने स्तर से स्वर्ण प्राशन कराकर बच्चों के भविष्य को उचित राह दे सकते हैं |