आँवला – लखीमपुर में केंद्रीय मंत्री के बेटे द्वारा किए गए वहशीपन का वीडियो आप सब देख ही चुके होंगे, ऐसे शहियाना, क्रूरता भरे कृत्य के बावजूद राकेश टिकैत ने आनन-फानन में “समझौता” कैसे कर लिया? अभी आरोपियों की गिरफ्तारी तक नही हुई है, लाशो का अंतिम संस्कार तक नहीं हो पाया था, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से किसान एकता मोर्चा संतुष्ट नहीं, लाश को दोबारा पोस्पमार्टम के लिए भेजा जा रहा है। तब राकेश टिकैत को मामला “निपटाने” की इतनी जल्दी क्यों थी? यह सब तब हुआ जब राकेश टिकैत भली प्रकार जानते हैं कि उनका मुकाबला कितने नंग लोगों से है। लेकिन इसके बावजूद टिकैत ने समझौता करने में जल्दबाजी क्यों दिखाई है? क्या दोबारा एडीजी लाॅ एंड ऑर्डर के साथ प्रेस कांफ्रेंस करने का मौका नहीं मिलता? टिकैत से पूछा जाटा चाहिए कि समझौता की पहल किस ओर से हुई? भाजपा की ओर से या पुलिस की ओर से? अगर पुलिस की ओर से हुई है तो क्यों हुई है? क्योंकि किसानों पर गाड़ी किसी पुलिसकर्मी ने नहीं बल्कि भाजपा नेता ने चढाई है। तब पुलिस से समझौता कैसा? और क्यों? राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के आईटी सेल तहसील अध्यक्ष (ऑवला )सददाम खान ने बताया सबसे पहले राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के प्रमुख सरदार वीएम सिंह जी ने शहीद हुए किसानों भाईयों के परिवार वालो से मुलाकात कर उनके दूख मे शामिल हुए और हर संभव न्याय दिलाने का भारोस दिया वहीं दूसरी तरफ राकेश टिकैत को इतनी जल्दी समझोता करने की क्या जल्दी थी।
रिपोर्टर – परशुराम वर्मा