उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद से सियासत धधक रही है. 55 घंटे बीत जाने के बीच घटना से जुड़े कम से कम 10 वीडियो सामने आ चुके हैं, लेकिन अब तक 8 लोगों की मौत के मामले में एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है.
गिरफ्तारी के नाम पर बस प्रियंका गांधी शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार हुई हैं. इस मामले में नामजद गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा से कोई पूछताछ नहीं हुई है.
आशीष मिश्रा को नहीं है FIR की जानकारी
वहीं, जिस घटना के दो दिन बाद तक मृतक किसान के परिजन अंतिम संस्कार तक से इनकार करते हैं, वहां आरोपी आशीष मिश्रा को घटना के तीसरे दिन बाद भी खुद पर हुई एफआईआर की जानकारी नहीं है. खैर जवाब जांच से ही मिलेंगे, लेकिन सवाल तो ये है कि जिन वीडियो के आधार पर तमाम लोग देश में अपनी अपनी राय बनाने लग गए हैं. उन्हीं वीडियो के सामने आने के बाद भी क्या मंत्री के आरोपी बेटे से पूछताछ करना जरूरी नहीं हुआ?
ये बात सच है कि सबूत जुटाकर ही पुलिस किसी को गिरफ्तार कर सकती है. लेकिन जिन तमाम वीडियो के आधार पर आरोप लगाए जा रहे हैं, वहां क्या आरोपी आशीष मिश्रा से भी पूछताछ तुरंत नहीं होनी चाहिए ? ताकि जांच तेज हो और एक संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक बंद हो.
लखीमपुर खीरी के किसान क्यों बने प्रदर्शनकारी?
इस पूरे घटनाक्रम से पहले एक सवाल उठा कि आखिर उत्तर प्रदेश के केंद्र में मौजूद लखीमपुर खीरी के किसान क्यों प्रदर्शनकारी बने? दावा हुआ था केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के सितंबर के आखिरी में दिए गए उस बयान के कारण, जिसमें किसानों को दो मिनट में सिखाने की बात उन्होंने कही थी. इस बयान में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा खुद के सांसद, विधायक होने से पहले का अपना इतिहास याद दिलाते दिखाई दिए थे.
जानिए मंत्री जी का इतिहास…
- अजय मिश्रा पर लखीमपुर के ही तिकुनिया थाने में हत्या, घर में घुसकर मारपीट, बलवा के चार मुकदमे दर्ज थे.
- 5 अगस्त 1990 को तिकुनिया थाने में अजय मिश्रा समेत 8 लोगों पर हथियारों से लैस होकर मारपीट का आरोप लगा था.
- 8 जुलाई 2000 को प्रभात गुप्ता नाम के शख्स की हत्या में अजय मिश्रा समेत चार लोगों पर नामजद एफआईआर हुई थी.
- 31 अगस्त 2005 को ग्राम प्रधान ने अजय मिश्रा समेत चार लोगों पर मारपीट-दंगे का केस दर्ज कराया था.
- 24 नवंबर 2007 को अजय मिश्रा समेत तीन लोगों पर मारपीट का चौथा केस दर्ज हुआ था.
- 2005 और 2007 के पिता के केस में बेटे आशीष मिश्रा भी नामजद था.
- 2004 में हत्या के केस में जिस दिन अजय मिश्रा निचली अदालत से बरी हुए, इत्तफाक था कि उसके अगले ही दिन फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश का भी रिटायरमेंट हो गया.
हत्या के मामले में हाई कोर्ट में 2018 से फैसला सुरक्षित रखा है और मंत्री जी जमानत पर चल रहे हैं. दावा है कि इसी महीने साल 2000 के हत्या के मामले में हाई कोर्ट से फैसला आ सकता है.