पीलीभीत: प्रगतशील किसान के खेत में जाकर देखी सब्जियों की फसल, अन्य किसानों को भी किया प्रोत्साहित।

पीलीभीत जिलाधिकारी श्री पुलकित खरे की अध्यक्षता में ‘‘मानव वन्यजीव संघर्ष विराम’’ गन्ने की खेती को अन्य वैकल्पिक फसलों से प्रतिस्थपित करने से सम्बन्धित ग्राम पंचायत कंजा हर्रेया के माला कालोनी व रिछोला में गोष्ठी का आयोजित की गई। आयोजित गोष्ठी में जंगल से लगे ग्रामों के ग्राम प्रधान व किसान बन्धुओं द्वारा प्रतिभाग किया गया। गोष्ठी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य जंगल के किनारे से लगे ग्रामों में मानव वन्य जीव संघर्ष विराम हेतु गन्ने की खेती के स्थान अन्य वैकल्पिक फसलों के प्रति किसानों को जागरूक कराना है। गोष्ठी में जिलाधिकारी ने किसान बन्धुओं को प्रोत्साहित करते हुये कहा कि जंगल के किनारे गन्ने की फसल के स्थान कई गुना लाभ देने वाली लैमग्रास, हल्दी, सेट्रोनेला, खस, पामारोज जैसी सुगन्धित औषधि वाली फसलों का उत्पादन कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही साथ इन फसलों में वन्यजीवों द्वारा किसी प्रकार का नुकसान नही किया जाता है और जंगली जानवर सुगन्ध के कारण खेत में नही आते है, जिससे उनके हमले का खतरा कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि अपने जनपद में ही ग्राम ढक्काचांट के संजय सिंह द्वारा सुगन्धित औषधि व ग्राम पुरैना ता0 महाराजपुर के किसान हर्षित सरकार द्वारा जंगल के किनारे नीबूं की खेती की जा रही है और गन्ने से चार गुना अधिक मुनाफा लिया जा रहा है। हर्षित सरकार व संजय सिंह द्वारा प्रारम्भ में गन्ने की फसल की जाती है और दिन रात जंगली जानवरों से देखरेख करने व कटान के समय बाघ व तेंदुआ के हमले का डर बना रहता था लेकिन इन फसल अपनाने के उपरान्त किसी भी प्रकार का भय नही है और जंगली जीव भी खेत में नहीं प्रवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी किसान बन्धु बदलाव लाये क्योंकि भविष्य में जंगली जीवों की संख्या में वृद्वि होगी और वन्यजीवों से सघर्ष का खतरा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल जंगली जीव को जंगल के सामान लगने के कारण अधिक विचरण किया जाता है, इसलिए छोटी फसलों के अपनाने से वन्यजीव जंगल से बाहर आने की सम्भावना कम रहती है। गोष्ठी के दौरान प्रगतशील किसान श्री संजय सिंह द्वारा अपने ग्राम ढक्काचांट में जंगल से तीनों ओर से घिरे होने के कारण गन्ने की फसल के स्थान पर सेट्रोनेला, खस, पामारोज की खेती के सम्बन्ध में अपने अनुभव व प्राप्त हो रहे लाभ के सम्बन्ध में भी किसानों को अवगत कराया गया और साथ ही साथ उन्होंने कहा कि कोई किसान भाई खेती के लिए इच्छुक हो तो पूर्ण सहयोग प्रदान किया जायेगा। उन्होंने कहा कि एक हजार लैमनग्रास पौध से कार्य प्रारम्भ करने के उपरान्त आज 12 से 18 एकड़ की खेती की जा रही है और साथ ही साथ अन्य औषधियों का उत्पादन किया जा रहा है। खेती के सम्बन्ध में किसानों को जानकारी प्रदान की गई। गोष्ठी में जिला गन्ना अधिकारी व कृषि वैज्ञानिक डॉ0 ढ़ाका द्वारा किसानों विभिन्न लाभकारी फसलों व उत्पादन के सम्बन्ध में जानकारी दी गई। कृषि वैज्ञानिक डॉ ढाका ने कहा कि शीघ्र ही जनपद में हल्दी की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का प्रयास किया जा रहा है। यूनिट लगने के उपरान्त किसान भाई हल्दी के उत्पादन से कई गुना लाभ प्राप्त कर सकते हैं। एसडीओ टाइगर रिजर्व द्वारा किसान बन्धुओं को जानकारी देते हुये कहा कि यदि जंगल के पास के खेतों में जाये तो ग्रुप बनाकर, शोर मचाते हुये जाये, जिससे जंगली जानवर अपना रूक जंगल की ओर कर ले।
इसके उपरान्त जिलाधिकारी ने ग्राम रिछोला के कृषक दीनदयाल द्वारा की जा रही खीरा व सब्जी की खेती का खेत में जाकर जायजा लिया गया। कृषक द्वारा अवगत कराया गया कि एक बीघा में खीरा की खेती से 40 हजार रू0 का लाभ एक बार में प्राप्त हुआ है और दूसरी वार इससे अधिक लाभ प्राप्त होगा।
आयोजित गोष्ठी में, जिला गन्ना अधिकारी श्री जितेन्द्र कुमार मिश्रा, कृषि वैज्ञानिक डॉ0 ढ़ाका, एसडीओ टाइगर रिजर्व, प्रगतिशील किसान संजय सिंह, ग्राम प्रधान रिछौला लीलावती, ग्राम प्रधान नीतू मित्रा सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

संवाददाता रामगोपाल कुशवाहा