मैनपुरी जिले में पुनर्जन्म का अनोखा मामला सामने आया है। यहां के औंछा थाना क्षेत्र के नगला सलेही गांव के प्रमोद कुमार उस वक्त चकित रह गए जब 8 साल का एक बच्चा उन्हें पिता कह कर उनके पास चला आया। बातचीत में उन्हें पता चला वह कोई और नहीं बल्कि 8 साल पहले नहर में डूब कर मर गया उनका 13 साल का बेटा है। जिसका उनके घर से मात्र 6 किमी दूरी पर एक बार फिर से पुनर्जन्म हुआ है। बाप-बेटे का मिलन देख कर सबकी आंखें भर आई।
8 साल पहले हुई थी 13 साल के बेटे की मौत
बातचीत में प्रमोद कुमार ने बताया कि तकरीबन 8 साल पहले मेरा बेटा जोकि 13 साल का उस वक्त था। उसकी नहर में डूबकर मौत हो गयी थी। उसका नाम रोहित था। 4 मई 2013 को वह घर से निकल कर नहर पर गया। चूंकि वहां जाना और नहाना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन उस दिन वह नहर में कूदा तो लेकिन निकल नहीं पाया। उसके बाद से मां बाप अपनी एक बेटी के सहारे ही जिंदगी काट रहे थे।
8 साल के लड़के ने बताई पूरी कहानी
8 साल का चंद्रवीर प्रमोद के गांव से लगभग 6 किमी दूर नगला अमर सिंह गांव में रामनरेश के घर 8 साल पहले ही पैदा हुआ था। जैसे जैसे वह बड़ा होता गया। उसे अपने पुनर्जन्म की कहानी याद आने लगी। उसने अपने मां-बाप को यह बातें भी बताईं लेकिन कोई उसे प्रमोद के घर लेकर नहीं जा रहा था। ऐसे में उसने जब अपने पुराने मां बाप से मिलने की जिद ठान ली तो उसके पिता रामशरण उसे लेकर प्रमोद के पास पहुंचे।
पिता को बताई घटना, मां से लिपट कर किया प्यार
प्रमोद सिंह ने जब चंद्रवीर की जुबान से पिता शब्द सुना तो चौंक गए। चंद्रवीर ने उन्हें पुनर्जन्म की बात बतायी तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। फिर बच्चे ने अपने मरने की कहानी बताई। इसके अलावा कई पुरानी बातों को भी उसने बताया। जिसके बाद प्रमोद को विश्वास हुआ। इसके बाद चंद्रवीर अपनी मां से और अपनी बहन से भी मिला। हालांकि, इस मिलन पर प्रमोद कहते हैं कि मुझे ख़ुशी तो है लेकिन वह दूसरे की अमानत है। जबकि बेटे के लौटने पर मां काफी खुश है और बहन को तो मानो पर लग गए हैं।
चंद्रवीर जब अपने परिवार से मिल रहा था तभी वहां से उसके स्कूल के प्रधानाचार्य सुभाष यादव आ गए। चंद्रवीर ने उन्हें भी पहचान लिया। वह उसे स्कूल ले गए। जहां उसने अपनी क्लास के बारे में भी बताया और यह भी बताया कि वह गणित पढ़ाते थे। चंद्रवीर का कहना है कि मुझे सभी बातें याद हैं। मैं दोनों परिवारों के साथ रहना चाहता हूं।
डर की वजह से नहीं जा रहा था परिवार
वहीं चंद्रवीर के असल पिता रामशरण कहते हैं कि जब बेटा थोड़ा बड़ा हुआ तो वह अपननी पुनर्जन्म की कहानी बताने लगा। वह अक्सर अपने पुराने परिवार के पास आने की जिद करता था। चंद्रवीर की मां कहती है कि हम उसे डर की वजह से नहीं भेज रहे थे कि वह वहीं का होकर न रह जाए। अब वह सबसे मिलता जुलता रहेगा। फिलहाल चंद्रवीर दोनों परिवारों को पाकर काफी खुश है।