देश में कोरोना की रफ्तार धीमी होते ही बाल तस्कर सक्रिय हो गए हैं। कोरोनाकाल में फैक्ट्रियों के बंद रहने की वजह से तस्करी पर कुछ वक्त से लगाम लग गई थी, मगर फैक्ट्रियां खुलते ही तस्कर दोबारा सक्रिय हो गए हैं। इस संदर्भ में रेल पुलिस, जीआरपी सहित सामाजिक संस्था तस्करी की चेन तोड़ने में लगी हुई हैं।
कोरोना के कहर की रफ्तार कुछ धीमी होने से एक बार फिर सीमांचल के इलाकों में बाढ़ की दस्तक के बीच इस इलाके में रोजगार का संकट पैदा हो गया है। रोजगार संकट के बीच सीमांचलवासी अपने जिगर के टुकड़ों को काम के लिए परदेश भेजने को मजबूर है। इसी मजबूरी का फायदा उठाकर बाल तस्कर एक बार फिर सक्रिय हैं। हालांकि कोरोना के बाद से इस तस्करी का जाल पर लगाम लगाने के लिए रेल पुलिस, जीआरपी के साथ साथ सामाजिक संगठन भी सक्रिय है। इसी को लेकर कटिहार जंक्शन पर ट्रेनों में विशेष जांच चलाया गया। सामाजिक संस्था से जुड़ी प्रतिनिधि ने कहा कि उन लोगों को गुप्त सूचना मिली थी कि बाल तस्करी का गिरोह बच्चों के साथ जा रहा है। इसी आधार पर जांच की गया। हालांकि कुछ मिला नहीं है। आगे भी ऐसी जांच जारी रहेगी
इस संबंध में कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की जिला को-ऑर्डिनेटर रश्मि प्रिया भी स्टेशन पर जांच अभियान में शामिल हुई और खुद युवतियों और बच्चों से पूछताछ की। इस बारे में उन्होनें बताया कि सूचना मिली थी कि अमृतसर से न्यू जलपाईगुड़ी जाने वाली कर्मभूमि एक्सप्रेस में कुछ लड़कियां और बच्चों को ले जाया जा रहा है। उनके साथ ट्रैफिकर के होने की भी खबर मिली थी। सूचना के बाद स्टेशन पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। प्रक्रिया जारी थी मगर संतुष्टिपूर्ण सपोर्ट की वजह से अभियान सफल नहीं हो सका। हालांकि बाल तस्करी अब भीजारी है। कई स्टेशनों पर बच्चों को उतारा जा रहा है। कोरोना के बाद फैक्ट्रियां शुरू हो गई हैं जिस वजह से तस्कर सक्रिय हैं और लगातार बच्चों को साथ ले जा रहे हैं। इसके खिलाफ हमारी मुहिम जारी रहेगी।
सवांददाता : संजीव मेहता