जौनपुर:प्रगतिशील विश्व मौर्य के संस्थापक अजय मौर्य द्वारा मौर्य समाज के सामाजिक हित में दिया गया संदेश

प्रगतिशील मौर्य विश्व मौर्य परिषद के संस्थापक माननीय अजय मौर्य आर्मी में अपनी ड्यूटी करते हुए मौर्य समाज को अपने संस्था के द्वारा संगठित और जागरूक कर रहे है।आइए जानते हैं प्रगतिशील विश्व मौर्य परिषद का उद्देश्य-

  1. मृत्‍युभोज व विशाल भोज पर अंकुश लगाना :- कुछ समय से ही समाज सुधारक इन्‍हें कम तथा बन्‍द करने में लगे हुये है । अब इनमें काफी सुधार व कमी तो हुई है फिर भी अनेक क्षेत्रों में अब भी भोज विशाल रुप में हो रहे है ऐसा भी देखा जा रहा है कि कई लोग तो अपने रिश्‍तेदारों के बल पर ही ऐसे विशाल भोज का आयोजन करते देखे गये है जो निन्‍दनीय है । इन्‍हें जहां तक हो बन्‍द किया जाना चाहिए अन्‍यथा दस्‍तूरी तौर पर बहुत ही कम मात्रा में ही किया जाय
  2. दहेज व अन्‍य लेन देन भी सीमित हो :- अब लोग देखा-देखी अपनी आर्थिक दशा से अधिक भी लेन-देन व दहेज या सामान देने लग गये है उनका यह दृष्टिकोण भी होता है कि लड़के वाले खुश रहेंगें तो लड़की को ठीक रखेंगे । इस विषय में दोनों पक्षों को ही सोचना चाहिये । दहेज व लेन-देन की मात्रा सीमित रखें । यह सामाजिक कुरीरियों तथा सगाई-विवाह, दहेज, बारात पर यदि कोई व्‍यक्तिगत अंकुश लगावें तो वह कारगर नहीं होता इन्‍हें तो पंचायत व समाज संगठन व्‍दारा ही समाप्‍त कर अंकुश लगाया जा सकता है ।

शिक्षा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार :-

  1. अनिवार्य शिक्षा :- समाज में 14 वर्ष तक के सभी बालक-बालिकाओं को शिक्षा अनिवार्य रूप से दिलवाई जाये । सामाजिक उन्‍नति हेतु प्रत्‍येक को शिक्षित होना अति आवश्‍यक है ।
  2. बालिका शिक्षा पर जोर देना :- जैसा कि कहा जाता है कि लड़के को शिक्षा दिलाना तो उसे स्‍वयम् को ही शिक्षित करना है किन्‍तु लड़की को शिक्षा दिलाना उसके सारे परिवार को शिक्षित करना है । शिक्षित लड़की अपनी भावी पी‍ढ़ि को शिक्षा तो दिलायेगी ही उन्‍हें पूर्णत: सुशिक्षित भी बनायेगी । अत: बालिका शिक्षा पर विशेष ध्‍यान चाहिए । जो साधन सम्‍पन्‍न है वे चाहे तो उच्‍च शिक्षा व मेडिकल इंजीनियरिंग आदि की शिक्षा भी दिला सकते है । किन्‍तु उच्‍च शिक्षा दिलाते समय यह अवश्‍य विचार कर लें कि समाज में उनके योग्‍य वर तथा धर तलाशने में व रिश्‍ता करने में कुछ पेरशानियां होने लग गई है । अब अनेक जगह लड़कों की पढ़ाई का ग्राफ गिरने लग गया है, और अधिकतर पढ़े लिखे लड़के बेरोजगार भी होते है । जो रोजगार शुदा है तथा डॉक्‍टर इंजीनियर कुछ योग्‍य लड़कों को दूसरी जाति वाले उचकाकर ले जाते है ।
  3. प्रौढ़ शिक्षा की ओर ध्‍यान देना :- हमारे समाज में शिक्षा का आंकड़ा बहुत कम होने के कारण जहां तक सम्‍भव हो शिक्षा में रूचि रखने वाले लोग अपने परिवार के प्रोढ़ों को भी अवश्‍य शिक्षित बनाये व अन्‍य लोगों को भी प्रेरित करें ।
  4. शिक्षा में गुणात्‍मक सुधार :- हमारी जाति में शिक्षा का प्रचार-प्रसार तो ठिक ही हो रहा है । आज छोटे-छोटे गांवों में भी अनेक बी.ए., एम.ए. व अन्‍य डिग्री प्राप्‍त युवक मिल जायेंगे किन्‍तु उनमें वांछित योग्‍यता के अभाव में बेरोजगार होकर इधर-उधर मारे-मारे फिरते हैं । हमारे समाज में उच्‍च पदों पर बहुत ही कम व्‍यक्ति ही जाते हैं अत: शिक्षा में गुणात्‍मक सुधार की आवश्‍यकता है ताकि किसी भी प्रतियोंगिता में उत्तीर्ण होकर, उच्‍च पद पर नियुक्‍त होकर अपना व जाति का नाम रोशन कर सके ।
  5. प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को प्रोत्‍साहित करना :- समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को सामाजिक संगठन तथा व्‍यक्तिगत स्‍तर पर प्रोत्‍साहन हेतु छात्रवृति, पठन सामग्री व अन्‍य आवश्‍यक सामान में सहायता करें, उन्‍हें समारोह में पारितोष्‍क व मेडल दिये जाये । इससे अन्‍य छात्र-छात्रायें भी उनके जैसा बनने के लिए प्रोत्‍साहित होंगे ।
  6. चारित्रिक शिष्‍टाचार की शिक्षा भी देना :- आज कल नये वातावरण, सिनेमा व टेलीविजन के कारण कुछ युवा वर्ग के पाँव फिसलने लग गये है और वे पढ़ाई लिखाई बन्‍द कर, दूर भागकर चोरी छुपे शादी विवाह रचा लेते हैं, कुछ कुसंगत के कारण चोरी, हत्‍या, बलात्‍कार व अन्‍य कई प्रकार के अनैतिक व जघन्‍य अपराधिक कार्य करने लग जाते है । अत: हर माता-पिता को चाहिये कि लड़के-लड़कियों के चरित्र व कार्यों पर पूर्ण्‍ निगाह रखें । उन्‍हें शिष्‍टाचार का पूरा-पूरा ज्ञान दें व बोलचाल तथा व्‍यवहार का भी ज्ञान दे ।

जन स्‍वास्‍थ्‍य सुधार कार्यों पर ध्‍यान देना :- हमें हमारे खान-पान व स्‍वास्‍थ्‍य पर भी ध्‍यान देना चाहिए तथा वासनाओं पर अंकुश लगाना चाहिए इसके लिए निम्‍न उपाय किये जाये –

  1. नशा बन्‍दी पर जोर देना :- हमारे समाज में व्‍यक्तिगत और सामूहिक स्‍तर पर शराब का बहुत प्रचलन है हमारे समाज में जन्‍म से लेकर मृत्‍यु तक के सभी कार्यों में सामूहिक रूप से शराब का प्रयोग अवश्‍यम्‍भावी होता आया है । इससे एक ओर जहां धन की हानि तथा स्‍वास्‍थ्‍य में गरावट होती है वहीं अधिक पी लेने से कई जगह तो उधम, लड़ाई, झगड़ा व गाली-गलौच करके सामाजिक कार्य की दुर्गति ही कर देते है अत: सभी प्रकार के सामाजिक कार्यों में सामूहिक रूप से शराब का प्रयोग करना तो बिल्‍कुल बन्‍द ही कर देना चाहिए तथा करने वालों को पंचायत व संगठन द्वारा दंडित कर देना चाहिए ।