पीलीभीत: ऊर्जा का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। बिना ऊर्जा के आज विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कल-कारखानें, व्यापारिक गतिविधियां, मैट्रो का संचालन, विद्युत रेल हो या अस्पताल, शिक्षण संस्थान, परिवहन सेवायें, घरेलू एवं व्यावसायिक उपयोग में विद्युत के बिना मनुष्य का वर्तमान जीवन रूक सा जाएगा। एक समय था जब गर्मी लगने पर हाथ से पंखे झले जाते थे, रोशनी के लिए कुप्पी व लालटेन में मिट्टी का तेल डालकर बाती जलायी जाती थी। आज उनका स्थान तरह-तरह के इलेक्ट्रिक बल्ब, पंखों, कूलर व ए.सी. ने ले लिया है। रंग-बिरंगी एल.ई.डी. लाईट्स आज रात में भी दिन जैसा प्रकाश फैला रही है। आज विद्युत शहरी जीवन के साथ-साथ ग्रामीण जीवन में भी पूरी तरह से आवश्यक हो गई है। खेतों में सिंचाई के लिए विद्युत पम्पों का प्रयोग बहुत बढ़ा है, जिससे किसानों को फसल सिंचाई हेतु कम दर पर विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा भी कृषि विद्युत को घरेलू विद्युत से अलग किया गया है।
विद्युत की अनिवार्यता के दृष्टिगत उसकी मांग भी बढ़ी है। आज के औद्योगीकरण एवं नगरीकरण की गति जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे-वैसे विद्युत की माँग भी बढ़ती जा रही है। इसी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा युद्धस्तर पर कार्य किए जा रहे हंै, जिसका परिणाम अब दिखाई देने लगा है। आज उत्तर प्रदेश का विद्युत उत्पादन एवं आपूर्ति के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ रहा है।
वर्ष 2017 से आज तक उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा कुल 3098.77 मेगावाट की विद्युत परियोजनाएं पूर्ण की जा चुकी हैं, जिनमें बारा टी.पी.एस., ऊँचाहार-4, मेजा-1, टांडा-2 यूनिट-1, न्यूनबीनगर यूनिट-1, किशन गंगा हाइड्रो व केमेंग हाइड्रो यूनिट-1 व 2 शामिल हैं।
वर्तमान में प्रदेश में कुल 26997.5 मेगावाट की विद्युत परियोजनाएं कमीशन्ड हैं। जिनमें तापीय विद्युत 18643 मेगावाट, जलविद्युत 3371.5 मेगावाट, गैस आधारित विद्युत 549 मेगावाट, न्युक्लियर विद्युत 289 मेगावाट तथा नवीकरण ऊर्जा का हिस्सा 4145 मेगावाट है।
भविष्य में बढ़ते हुए नगरीकरण एवं औद्योगीकरण के दृष्टिगत विद्युत की मांग की पूर्ति के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 2029-30 तक की विद्युत मांग के सापेक्ष विद्युत आपूर्ति हेतु 42146.34 मेगावाट की उपलब्धता हेतु दीर्घकालीन योजना तैयार की है, जिसमें से वर्तमान में 26997.5 मेगावाट विद्युत परियोजनाओं से बिजली प्राप्त हो रही है तथा शेष 15148.84 मेगावाट की परियोजनाओं से भविष्य में ऊर्जा प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त प्रदेश में विद्युत की अतिरिक्त उपलब्धता बनाए रखने तथा सौर एवं पवन ऊर्जा के प्रोत्साहन हेतु वर्ष 2024 तक कुल 8150 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता निर्माण के अनुबंधित किए जाने की कार्ययोजना प्रस्तावित की गयी है।
प्रदेश सरकार द्वारा लगभग 11232.84 मेगावाट की विद्युत परियोजनाओं के पी.पी.ए. हस्ताक्षरित किये जा चुके हैं जो भविष्य में आने वाली है। जिनमें 10 तापीय व 07 जलीय परियोजनाएं हैं। इसके अतिरिक्त 2798 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा निर्माण की परियोजनाओं में पी.पी.ए. भी हस्ताक्षरित किए जा चुके हैं। प्रदेश की विद्युत उपलब्धता की स्थिति को बढ़ाने के लिए लगभग 3916 मेगावाट की 06 परियोजनाएं भी भविष्य के लिए प्रस्तावित है, जिसके पी.पी.ए. हस्ताक्षरित किया जाना है। इनमें तेलैया तापीय, ओबरा-डी, अनपरा-ई करछना तापीय है। इसमें जलीय व नवीकरणीय ऊर्जा भी शामिल है।
प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्युवल ऊर्जा) क्रय की कार्ययोजना भी प्रस्तावित की गयी है। इसके अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 से वर्ष 2023-24 तक कुल 6150 मेगावाट की सौर ऊर्जा तथा कुल 2000 मेगावाट की पवन ऊर्जा क्रय करने की कार्ययोजना प्रस्तावित की गयी है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में सुव्यवस्थित कार्य करने का ही परिणाम है कि औसत विद्युत उत्पादन लागत वित्तीय वर्ष 2016-17 में जहां 4.09 रुपये थी, वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में 45 पैसे घटकर 3.64 रुपये हो गई है। प्रदेश में औसत विद्युत विक्रय दर वित्तीय वर्ष 2016-17 में जहां 4.42 रुपये थी, वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में 79 पैसे घटकर 3.63 रुपये हो गई है।
प्रदेश में पावर फार आल के लक्ष्य की पूर्ति के लिए मार्च 2017 से अब तक की अवधि में 01 नग 765 के.वी., 10 नग 400 के.वी., 32 नग 220 के.वी. तथा 61 नग 132 के.वी. विद्युत उपकेन्द्रों कुल 104 नग तत्संबंधी पारेषण लाइनों का लगभग रुपये
10077.40 करोड़ की लागत से ऊर्जीकरण किया गया है। उक्त के क्रम में प्रदेश की पारेषण क्षमता को 24000 मेगावाट एवं विद्युत आयात क्षमता को 13400 मेगावाट किया गया। अग्रेतर प्रदेश में स्थापित होने वाली तापीय परियोजनाओं जिसमें घाटमपुर विद्युत गृह, ओबरा-सी तापीय परियोजना एवं जवाहरपुर तापीय परियोजना से ऊर्जा निकासी हेतु आवश्यक पारेषण तंत्र तथा 400के.वी. उपकेन्द्र बदायूं एवं फिरोजाबाद का निर्माण कार्य टैरिफ बेस्ड काॅम्पेटेटिव बिडिंग (टी.बी.सी.बी.) के माध्यम से कराया जा रहा है। साथ ही मेरठ, रामपुर, सिम्भावली तथा सम्भल में बड़े पारेषण उपकेन्द्रों का निर्माण भी इसी पद्धति से कराया जा रहा है। टी.बी.सी.बी. परियोजनाओं की कुल लागत लगभग रूपये 6101.14 करोड़ है।
रिपोर्ट :रामगोपाल कुशवाहा पीलीभीत